पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारी और मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के सचिव एम.डब्ल्यू अंसारी को चुनावों के दौरान पद से हटाये जाने पर चुनाव आयोग से शिकायत की गयी है.
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अपने मंत्रालय के सचिव को हटाने पर घिरे के रहमान खान
अंसारी को 1 मई को तब पद से हटा दिया गया था जब चुनाव आचार संहिता लागू था. मालूम हो कि मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्यरत संस्था हौ जो अल्पसंख्यकों में शिक्षा व रोजगार के प्रसार के लिए काम करता है.
ऑल इंडिया मुस्लिम मज्लिस ए मुशावरत के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में असारी को हटा दिये जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए लिखा है कि वह एक ईमानदार अधिकारी हैं और उन्हें काम करने नहीं दिया जा रहा था.
मालूम हो कि अंसारी को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान के दबाव में हटाया गया है.
जब से एम. डब्लू अंसारी को फाउंडेशन का सचिव बनाया गया था तब से इसने 35 हजार छात्रों को स्कॉलरशिप देकर एक रिकार्ड बना दिया था. इतना ही नहीं अंसारी ने जबसे एमएएफ के सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी, उन्होंने ऐसे दर्जन भर एनजीओज को ब्लैकलिस्टेड कर दिया जो भ्रष्टाचार में लिप्त थे और फाउंडेशन से ग्रांट हासिल कर फर्जीवाड़ा कर रहे थे.
एमएएफ सूत्रों का कहना है कि अंसारी के पद संभालने के बाद से फाउंडेशन में नयी जान आ गयी थी और इसने एक साल में जितना काम किया था उतना काम इसने पिछले चार साल में भी नहीं किया.
लेकिन सवाल यह है कि जिस अधिकारी की तारीफ खुद फाउंडेशन के अन्य अधिकारी करते हों उन्हें अचानक बिना वजह बताये उनके पैरेंटल बॉडी में भेजने का फरमान क्यों जारी कर दिया गया? फाउंडेशन के सूत्र बताते हैं कि अंसारी के काम करने का पारदर्शी तरीका और उनकी विश्वसनीयता ही उनके हटाये जाने की वजह बन गयी.
एमडब्ल्यू अंसारी के हटाये जाने का अब भारी विरोध शुरू हो गया है. फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज ऐंड एनालाइसिस के सचिव जसीम मोहम्मद ने यूपीए सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रहमान खान ईमानदार अधिकारियों को काम करने नहीं देना चाहते.