भारत राजनीति में पार्टियों की पहचान उसकी नीति, सिद्धांत या कार्यक्रमों से नहीं होती है। पार्टियों की पहचान उनके नेताओं से होती है। लालू यादव का राजद, नीतीश कुमार का जदयू, रामविलास पासवान की लोजपा, जीतन राम मांझी का हम, अमित शाह की भाजपा। ये सभी नेता अपने-अपने पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। ठीक उसी तरह राहुल गांधी की कांग्रेस। राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और अब पार्टी की पहचान राहुल गांधी के नाम से ही है। पिछले 14 महीनों से वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
वीरेंद्र यादव
2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर संभवत: उनकी पहली रैली 3 फरवरी को पटना में हो रही है। यह रैली राहुल गांधी और संगठन की ‘शक्ति’ परीक्षा भी है। बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल अपनी सभाओं में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट भी कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे बड़ी पराजय झेली थी और लोकसभा में सदस्यों की संख्या पचास भी नहीं पहुंच पायी थी। इस बार बहुमत का पूरा दारोमदार राहुल गांधी के नेतृत्व और संगठन पर है।
28 साल बाद गांधी मैदान में कांग्रेस की रैली हो रही है। लोकसभा में बहुमत की नींव भी पटना में रखा जाना है। राहुल कांग्रेस की प्राण-प्रतिष्ठा भी आज की रैली में होगी। पटना की रैली में जुटने वाली भीड़ ‘सत्ता प्रतिमा’ की असली ताकत होगी। प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा भी भीड़ से मिलने वाली है। इसलिए पार्टी भीड़ लगाने वालों की भीड़ बढ़ा रही है। भीड़ लगाने वालों में कई लोकसभा के टिकट के दावेदार भी हैं। राहुल गांधी की असली चुनौती भी आज से शुरू होने वाली है। भीड़ को देखकर सहयोगी दलों के साथ सौदा भी करेंगे और समझौता भी। बस इंतजार कीजिये भीड़ का।