भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने यह कहकर राजनीतिक गलियारे में सनीसनी पैदा कर दी है कि मौजूदा दौर में लोकतंत्र को दबाने वाली ताकतें सक्रिय हो गयी हैं, जिसके कारण आपातकाल की वापसी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
एक अखबार के साथ इंटरब्यू में जतायी आशंका
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान लागू किये गये आपातकाल में 19 महीने तक जेल में बंद रहने वाले श्री आडवाणी ने कहा कि मैं नहीं सोचता कि 1975 -1977 से ऐस कुछ किया गया हो, जिससे यह आश्वासन मिले कि नागरिक अधिकारों को दोबारा निलंबित नहीं किया जायेगा या उनका दमन नहीं किया जायेगा। हां , ऐसा आसानी से नहीं किया जा सकता, लेकिन मैं यह नहीं कह सकता है कि ऐसा दोबारा नहीं हो सकता है। मूलभूत अधिकारों का दोबारा दमन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मुझे हमारी राजनीति से ऐसा कोई इशारा नहीं मिलता , जिससे लोकतंत्र और इससे जुड़े अन्य आयामों के प्रति प्रतिबद्ध नेतृत्व क्षमता का आश्वासन हो। मैं यह नहीं कहता कि राजनीतिक नेतृत्व परिपक्व नहीं है, लेकिन इसकी कमजोरी की वजह से हमें इस पर भरोसा नहीं है। 25 जून 1975 को लागू किये आपातकाल के 40 वर्ष पूरे होने के पहले श्री आडवाणी ने एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक को दिये साक्षात्कार में कहा कि मीडिया अब ज्यादा सतर्क है, लेकिन क्या यह लोकतंत्र के प्रति सचमुच प्रतिबद्ध है? उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता। सीविल सोसाइटी से उम्मीद होती है, लेकिन उससे निराशा ही मिलती है। न्यायपालिका अन्य के मुकाबले अधिक जिम्मेदार है।