भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के बारे में कहा है कि वह जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता.
आडवाणी के इस वक्तव्य और आरएसएस के अधिकारियों की जातिवादी संरचना से कोई मेल नहीं है.
भाजपा अनुसूचित जाति फ्रंट द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आडवाणी ने कहा आरएसएस ने कभी भी जाति को स्वीकार नहीं किया और संघ का नजरिया है कि सामाज का हर तबका आपस में बराबर है.
आडवाणी ने कहा कि हिंदुओं द्वारा दूसरे धर्म स्वीकार करने की सबसे बड़ी वजह जातिवादी अत्याचार रही है.
ऐसे समय में जब लाल कृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी को भाजपा चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाये जाने से काफी व्यथित थे, आडवाणी द्वारा आरएसएस की प्रशंसा करने को अलग अलग अंदाज में देखा जा रहा है.
आडवाणी ने यहां तक कहा कि आरएसएस जाति आधार पर भेद भाव नहीं करने के चलते भाजपा का वोट बैंक काफी विस्तारित हुआ है.
हालांकि आडवाणी ने आरएसएस का जातिवाद विरोधी कहा है लेकिन संघ के निर्णायक पदों पर एक भी दलित का न होना आडवाणी के इस वक्तव्य की पोल खोलता है. ध्यान रहे कि संघ के 83 वर्ष के इतिहास में आज तक एक भी दलित सर संघचालक के पद तक नहीं पहुंचा है.