बांदीपुरा सीआरपीएफ कैम्प पर आतंकी हमले को नेस्तनाबूद कर हीरो के रूप में उभरने वाले कमांडेंट इकबाल अहमद को सेना और सरकार ने सम्मानित करने का फैसला लिया है.
सेना और बीएसएफ के आला अधिकारियों ने बीएसएफ कैम्प का दौरा किया जहां आतंकियों ने रमजान की सेहरी के वक्त हमला किया था. हमला को नाकाम बनाने में जिस तरह से कमांडेंट इकबाल अहमद ने सेहरी छोड़ कर दुश्मनों पर अपने एनोस राइफल से टूट पड़े थे उसी का परिणाम हुआ कि देखते देखते सारे आतंकी ढेर हो गये.
सेना के आला अधिकारियों ने जब उनसे मुलाकात की तो इकबाल अहमद ने पूरे घटनाक्रम का उल्लेख किया. इस दौरान बीएसएफ के डीजी ने उनकी और उनकी टीम की बहादुरी और साहस की खूब प्रशंसा कि और उन्होंने कहा कि इन बहादुर जवानों ने देश को गर्वान्वित किया है.
कमांडेंट इकबाल अहमद को जैसे ही इस हमल की सूचना मिली उन्होंने सेहरी( रोजा रखने के पहले अहले सुबह खाना) खाना छोड़ कर अपने असाल्ट राइफल ले कर पहुंच गये. उन्होंने देखा कि लश्कर ए तैयबा के चार आतंकी कैम्प पर हमला बोल रहे थे. जांबांज इकबाल अहमद अपने साथियों के साथ उन आतंकियों पर टूट पड़े.
गौरतलब है कि आतंकियों का मंसूबा ऊरी कैम्प से भी खतरनाक हमला करने का था. अगर वे हमले में सफल हो जाते तो पचासों जवानों को जान गंवानी पड़ती. लेकिन कैम्प के जवानों की जांबांजी और बहादुरी के आगे आतंकियों की नहीं चली.
हमले की सूचना मिलते ही त्वरित प्रतिक्रिया और तत्काल पहुंची मदद ने आतंकियों को नाकाम कर दिया। हमला नाकाम होने की वजह से कई जवानों की जिंदगियां बचाई जा सकीं। जिस समय कमांडेंट इकबाल को वायरलेस पर सूचना मिली वह संबल कैंप से करीब 200-300 मीटर की दूरी पर थे। रमजान के दौरान रोजा रखे अफसर इकबाल मौके पर तुरंत पहुंचे और तबतक रुके रहे जबतक चारों आतंकियों को मार नहीं गिराया