आतंकी फंडिंग मामले में लखीसराय पुलिस की पहल पर दो और गिरफ्तारी हुई है लेकिन आतंकी वारदात में गिरफ्तारी पर वाहवाही लूटने वाली पुलिस इनके नाम बताने से क्यों मुकर रही है?
आम तौर पर आतंक से जुड़े मामले में किसी भी गिरफ्तारी पर पुलिस सबसे पहले उनके नाम उजागर करके अपने सर पर बहादुरी का सेहरा बांधने की कोशिश करती है पर इस मामले में लखीसराय पुलिस की चुप्पी कई संदेहों को जन्म दे रही है.
नौकरशाही डॉट इन ने जब इस संबंध में लखीसराय के डीएसपी सुबोध कुमार विश्वास से बात की तो उनका जवाब चौंकाने वाला था. उन्होंने कहा “मुझे उनके नामों की जानकारी नहीं है”. विश्वास का जवाब इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि खुद उनके परामर्श से लखीसराय पुलिस ने गिरफ्तार लोगों को लाने के लिए मंगलोर रवाना हुई है. और खुद लखीसराय पुलिस के अनुरोध पर मंगलोर पुलिस ने इन दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
यहां ध्यान देने की बात है कि इस महीने की शुरूआत में एनआईए की सूचना पर लखीसराय पुलिस ने गोपाल गोयल, विकास कुमार, पवन और गणेश को पाकिस्तानी खातों से पैसे मंगाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उसके बाद गोपाल ने इस मामले में आयशा बानो नामक महिला के बारे में बताया था जो गोपाल के साथ पाकिस्तान से आये पैसे का इस्तेमाल करती है. बाद में पुलिस ने आयशा और उसके पति जुबैर को भी गिरफ्तार कर लिया. लेकिन ताजा गिरफ्तारी में लखीसराय पुलिस की चुप्पी से कई संदेह खड़े होने लगे हैं. डीएपी सुबोध कुमार से जब नौकरशाही डॉट इन ने इस संबंध में बार बार सवाल किया तो उन्होंने कहा “मैं मंगलोर पुलिस से उन लोगों के नाम पूछ कर बता दूंगा”. पर यह एक आम आदमी को मालूम है कि पुलिस किसी को तब ही गिरफ्तार करती है जब उसे उसका नाम पता चले. लेकिन डीएसपी सुबोध विश्वास का जवाब आशचर्य में डालने वाला है. सवाल यह है कि आपको आरोपियों के नाम तक मालूम नहीं और आपने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, आखिर कैसे? क्या लखीसराय पुलिस सच्चाई को छुपाना चाहती है?
ध्यान रहे कि आयशा की गिरफ्तारी और फिर उसे रिमांड पर लेने के बाद ही पुलिस को उन दो लोगो की सूचना मिली जो पाकिस्तान से अवैध रूप से धन मंगाने का खेल खेलते रहे हैं. पुलिस ने जब पटना विस्फोट की जांच शुरू की तो उसे पाकिस्तानी फंडिंग की खबर लगी. और उसने इसी अधार पर गिरफ्तारियां शुरू की. पुलिस इस तहकीकात में लगी है कि पाकिस्तान से आने वाले इन पैसों के सहारे पटना विस्फोट किया गया. ये सीरियल विस्फोट भाजपा की हुंकार रैली के दिन 27 अक्टूबर को हुए थे जिनमें चार लोगों की जान चली गयी थी जबकि 90 लोग घायल हुए थे.