भाजपा के साथ नयी पारी शुरू करने के पहले ही सत्र में आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा स्थित अपने कक्ष में ‘आत्मा’ की तलाश कर रहे थे। वह आत्मा जो कुर्सी की होती है। एक गठबंधन के साथ आत्मा मर जाती है और दूसरे गठबंधन के साथ सजीव हो जाती है। बात जदयू सांसद अली अनवर और महेश्वर यादव की आत्मा की हो रही थी। नीतीश कुमार की अंतरात्मा के साथ इन लोगों की अंतरात्मा भी हिलोरे खा रही थी।
विधान सभा लाइव
वीरेंद्र यादव
मुख्यमंत्री करीब साढ़े 10 बजे विधान सभा स्थित अपने कक्ष में पहुंचे। उनके पीछे-पीछे विधायकों का जत्था जुटने लगा। दर्शन और आशीर्वाद के साथ विधायक आ-जा रहे थे। इसी बीच उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी आये। उनके साथ भाजपा विधायकों का काफिला आया। मुख्यमंत्री ने उनका स्वागत किया। थोड़ी देर बैठने के बाद सुशील मोदी यह कहकर चले गये कि हम हाउस में ही आते हैं।
सीएम कक्ष में सांसद आरसीपी सिंह, हरिवंश सिंह, रामनाथ ठाकुर, कहकशां परवीन के अलावा एकाध एमएलसी भी मौजूद थे। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गृहसचिव आमिर सुबहानी, डीजीपी पीके ठाकुर के साथ सीएम के प्रधान सचिव चंचल कुमार समेत सीएम सचिवालय के कई अधिकारी मौजूद थे। विधान पार्षद संजय गांधी नीतीश कुमार के निर्देश का पालन कर रहे थे। सीएम कक्ष में काफी देर तक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होती रही। घंटी बजने के बाद सीएम सदन के लिए प्रस्थान किये।
हम भी प्रेस दीर्घा में घुसे। खचाखच भीड़। सभी की नजर स्पीकर विजय कुमार चौधरी की ओर थी। उन्होंने कार्यवाही की शुरुआत की। उन्होंने सदन के नेता नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को घोषित किया। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्वास का प्रस्ताव सदन में रखा। तय कार्यक्रम के अनुसार, इस पर चर्चा की शुरुआत भाजपा के नंदकिशोर यादव को करनी थी। लेकिन विश्वास प्रस्ताव के बाद नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव ने बोलना शुरू किया। उन्होंने खूब बोला और आक्रमक तरीके से बोला। नीतीश कुमार और सुशील मोदी पर हमला जमकर बोला। इस जोश में उन्होंने असंसदीय शब्द का इस्तेमाल भी किया, जिसे कार्यवाही से निकालने की घोषणा स्पीकर ने की।
सत्ता पक्ष की ओर नंद किशोर यादव ने तेजस्वी यादव पर हमला किया। इसके बाद कांग्रेस के सदानंद सिंह ने विश्वासमत के खिलाफ बोला। सुशील मोदी ने भी बेनामी संपति को लेकर तेजस्वी पर हमला किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भाषण भी भाजपा के ‘सुर-ताल’ का विस्तार था। मुसलमानों के लिए किये गये कामों का जरूर उल्लेख किया। सत्ता पक्ष के तीनों नेताओं का भाषण संक्षित्प ही था।
स्पीकर ने पहले ध्वनि मत से मत विभाजन कराया, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण लॉबी डिविजन हुआ। इसके अनुसार, विश्वास मत के पक्ष में 131 और विपक्ष में 108 मत पड़े। परिणाम की घोषणा के बाद विधान सभा की बैठक अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गयी। विश्वास मत पर लॉबी डिविजन इससे पहले 1997 में हुआ था, जब राबड़ी देवी सरकार को बहुमत हासिल करना था। सदन से बाहर निकलते हुए नीतीश का नया नामकरण ‘नीतीश मोदी’ हो गया। इस नाम से जयकारे भी लगे।
बैठक स्थगित होने के बाद सीएम कक्ष में फिर आशीर्वादियों की लाइन लगी हुई थी। सुशील मोदी भी मौजूद थे। कक्ष में बढ़ी भीड़ को देखते हुए नीतीश व सुशील बाहर निकले और ‘मॉव फेसिंग’ के लिए परिसर में निकले। बाहर में कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद नीतीश फिर अपने कक्ष में वापस आये, जबकि सुशील प्रस्थान कर चुके थे। सीएम के साथ फिर काफिला जुटा। इस बीच सीएम की गाडि़यों का काफिला पोर्टिको में पहुंच गया था। अपने कक्ष से नीतीश निकल रहे थे। इस बीच पत्रकारों ने कुछ पूछना चाहा तो नीतीश ने कहा कि रुकिये न, हम खुद पितपिताये हैं। बोलेंगे और खूब बोलेंगे। पहले हम बोलेंगे तब आप लोग सवाल पूछिएगा। मंत्री परिषद के विस्तार से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आपको ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ नीतीश बाहर निकल गये और हम नाश्ता की तलाश में कैंटिन की ओर निकले।