गोरखपुर दंगा मामले में परवेज परवाज ने आदित्यनाथ अदालत में घसीटा लेकिन वह बच निकले. लेकिन परवेज के पास मौजूद साक्ष्य, उनकी हिम्मत और दिलेरी के इस नमूने को पढ़ कर लगता है कि वह यूपी के सीएम को बचने नहीं देंगे.
परवाज ने हाईकोर्ट के फैसले की कमजोर कड़ी को पकड़ लिया है और अब वह उच्चतम न्यायालय जायेंगे. परवाज के पास जितने मजबूत साक्ष्य हैं उससे साफ लगता है कि योगी भले ही कुछ दिनों के लिए बच जायें लेकिन आखिरकार उनको कोई बचा नहीं पायेगा.
परवेज परवाज के इस वकत्व्य को पढ़िये और जानिये कि इस फैसले की हकीकत क्या है.
परवाज ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है-
गोरखपुर में सन् 2007 के दंगे की किसी केंद्रीय और आज़ाद एजेंसी से विवेचना कराने की याचिका रिट सं0 21733/8 परवेज़ परवाज़ और असद हयात बनाम उत्तर परदेश सरकार एवं अन्य कल 22-2-18 को ख़ारिज हो गयी,,। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने योगी एवं अन्य के खिलाफ मुकदमा ना चलाने के सरकार के फैसले को सही बताते हुए यह कहा की सी0आर0पी0सी0 की धारा 196 के तहत मुक़दमा चलाने की जो इजाज़त नहीं दी वह विधिक तौर पर सही है,,लेकिन मा0 अदालत ने सी0बी0सी0आई0डी0 की तफ्तीश को भी सही माना है इस तरह ओवी समेत कोइ भी आरोपी दोष मुक्त नहीं हुआ,,और अब एक आरोपी हमारी व्यवस्था की देखभाल करेगा ।
हम इस विडंबना के निवारण कद लिए माँ0 सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने जा रहे है. तैयारी शुरु हो गयी है.
माँ0 हाईकोर्ट ने अपने 54 पेज के जजमेंट के पेज नंबर 21 पर यह लिखा है की वादी यानी मैंने सबूत के तौर पर बयान हल्फी के साथ जो सी डी सी जे एम् कोर्ट में सन् 2008 को दी थी वह रेकॉर्ड में एक्ज़हिबिट नंबर 6 क पर टूटी हालात में मौजूद है और वह फॉरेंसिक जांच के लिए भेजी ही नहीं गयी.
फैसले की विडंबना पर गौर करिये
फैसले केपेज नम्बर 19पर लीखा है की जो सीडी सी0बी0सी0आई0डी0 ने जांच के लिये भेजी उस सीडी को को 161 के बयान के वक़्त वादी यानी मैंने 14-3-2013 को दी थी,,,,जांच रिपोर्ट के अनुसार उस सी डी का डेट आफ क्रिएशन 27-4-2013 का है यानी हमारे ज़रिया कथित तौर पर देने के एक महीना की बाद का है ।मा0 अदालत ने यह तर्क दिया है की मेकेनिज्म की कमी की वजह से ऐसी गड़बड़ी होजाना स्वाभाविक है,,लेकिन मा0 न्यायालय ने यह खुद लिखा है अपने जजमेंट के पेज नं0 23 पर की जब जांच के वक़्त वो सील्ड सी डी खोली गयी तो वह गोरखपुर इस प्रकाशित फॉक्स अखबार के 5 जून 2014 के एक पेज में लिपटी हुई पायी गयी
यही सब उलझे हुए सवाल है जिस के निदान के लिए माँ0 सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और विशवास है की वहा से न्याय मिल जायेगा.