झारखंड की एक महिला आईएएस अफसर आदिवासियों की धार्मिक आजादी के पक्ष में उतर गयी हैं. पंचायती राज सचिव वंदना डाडेल ने उन लोगों को आड़े हाथों लिया है जो आदिवासियों की धर्म संबंधी पसंद पर सवाल उठाते हैं.
वंदना डाडेल ने अपने फेसबुक अकाउंट से लिखा है कि ‘जब सरकारी कार्यक्रमों में भी आदिवासियों के धर्म और धर्म परिवर्तन पर टिप्पणी होने लगे तो मन में सवाल उठना वाजिब है.क्या इस राज्य में आदिवासी को स्वेच्छा से, सम्मान से अपना धर्म चुनने का भी अब अधिकार नहीं रह गया है? आखिर क्यों अचानक आदिवासियों के धर्म परिवर्तन पर औरों को चिंता होने लगी है. ‘जब सरकारी कार्यक्रमों में भी आदिवासियों के धर्म और धर्म परिवर्तन पर टिप्पणी होने लगे तो मन में सवाल उठना वाजिब है।…क्या इस राज्य में आदिवासी को स्वेच्छा से, सम्मान से अपना धर्म चुनने का भी अब अधिकार नहीं रह गया है? आखिर क्यों अचानक आदिवासियों के धर्म परिवर्तन पर औरों को चिंता होने लगी है’.
वंदना 1996 बैच की आईएएस अफसर हैं.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले दिनों आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराने वाले पादरियों को जेल भेजने की बात कह रहे हैं.
वंदना की यह टिप्पणी किसी भी व्यक्ति की धार्मिक आजादी के समर्थन में मानी जा रही है. हालांकि कुछ लोगों ने इस टिप्पणी का विरोध किया है.
वंदना डाडेल से उनके फेसबुक पोस्ट पर पूछने पर उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने धर्मांतरण के मुद्दे पर पोस्ट किया है। यह उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी है.
गौरतलब है कि झारखंड में राज्य सरकार ने कई बार यह मुद्दा उठाया है कि कुछ पादरी आदिवासियों को बहला-फुसला कर धर्म परिवर्तन कराते हैं. हालांकि इस मामले में आदिवासियों का कहना है कि वे स्वेच्छा से किसी धर्म को स्वीकार करने की स्वतंत्रता रखते हैं.