झारखंड में आदिवासियों की धार्मिक आजादी पर भाजपा सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आक्रोश चरम पर है. शनिवार को आदिवासियों की आक्रोश रैली पर पुलिस की फायिरंग के बावजूद हजारों लोग रांची पहुंचे. इस दौरान एक की मौत जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गये.
गौरतलब है कि झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार आदिवासियों के धर्मांतरण के उनके मौलिक अधिकार के खिलाफ दमनकारी नीति अपना रही है. साथ ही आदिवासियों की जमीन की मिलकियत पर सरकार के अध्यादेश से वहां के आदिवासियों में जबर्दस्त आक्रोश है.
मनोज प्रवीन लकड़ा ने लिखा है कि झारवरखंड सरकार की नीतियों के खिलाफ आदिवासी संघर्सिष मोर्योंचा ने राजधानी रांची में एतिहासिक आक्रोश महारैली मिकाली। राज्य की राष्ट्रवादीे भाजपा सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंटते हुए इसे असफल करने की पुरजोर कोशिश की थी।
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महारैली के कई दिनों पहले से आदिवासियों को सरना और ईसाई आदिवासी का फर्क समझाया। एक्ट में संशोधन के फायदे गिनाते हुए अखबारों में सरकारी विज्ञापन भी प्रकाशित कराये। इधर, पुलिस के गोली चालन में बगल के खूंटी जिले में महारैली में शामिल होने आ रहे एक व्यक्ति की मौत और कई के घायल होने की सूचना है।
..शनिवार 22 अक्तूबर को बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती थी। आसपास के गांव व शहरों में भी धारा 144 लगायी गयी। वाहन मालिकों को धमकाया गया कि वे रैली के लिए अपने वाहन न दें।
..गुमला में एक दिन पहले से बड़ी गाड़ियों का परिचालन बंद करा दिया गया। विभिन्न जगहों से जो वाहन चले, उनको राजधानी के बाहर ही रोका गया। ऐसे बड़े वाहनों की संख्या 400 से अधिक थी। लोगों ने शिकायत की कि जांच के नाम पर पुलिस वाले कागजात लेकर गायब हो गये। वैसे लोग वहीं धरना- प्रदर्शन पर बैठे। इसके बावजूद मोरहाबादी मैदान में लोग बड़ी संख्या में जुटे और अपनी ताकत दिखायी। इस मैदान में जो भी था, लंबी दूरी तय कर पैदल चल कर आया था।.