केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय में स्पष्ट किया कि देश की करीब 120 करोड़ की आबादी में से 80 करोड़ लोगों के आधार कार्ड बन चुके हैं और इस योजना को वापस लेना मुश्किल है। एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि इस योजना में अब तक 5000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसके जरिये सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचा रही है। कई सब्सिडी इसी के माध्यम से लोगों को दी जा रही है। ऐसे में आधार कार्ड परियोजना बंद करना मुश्किल होगा।
श्री रोहतगी ने इस मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कराये जाने का आग्रह भी किया। केंद्र सरकार ने न्यायालय में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वह अपने उस आदेश को वापस ले ले, जिसमें उसने निर्देश दिया था कि किसी भी सरकारी योजना के लिए आधार की अनिवार्यता नहीं होगी। केंद्र सरकार की ओर से याचिका दायर कर कहा गया है कि न्यायालय के आदेश के कारण डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) प्रोग्राम को कारगर तरीके से लागू करने में दिक्कत हो रही है। वित्त मंत्रालय ने इस मामले में न्यायालय के 23 सितंबर 2013 एवं 16 मार्च 2015 के आदेश में बदलाव की गुहार लगाई है।