संघर्षों से भरे जीवन के बीच गुजरात की मुख्यमंत्री रही आनंदी बेन पटेल को 16 माह के राजनीतिक अज्ञातवास ने आखिर मध्यप्रदेश का राज्यपाल बना दिया। श्रीमती पटेल ने गत दो अगस्त 2016 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने गुजरात विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। वर्ष 2014 में श्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदीबेन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी, लेकिन पिछले दो सालों के दौरान गुजरात में लगातार उनके लिए मुश्किलें आती रहीं।
पिछले एक साल से गुजरात में चल रहे पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने श्रीमती आनंदी बेन पटेल की भूमिका पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। पाटीदार आंदोलन के दौरान गुजरात में कर्फ्यू लगा जो कि श्रीमती पटेल के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा था। पचहत्तर वर्षीय आनंदीबेन का जीवन संघर्षों से भरा रहा है और एक साधारण से घर में पैदा हुई बच्ची श्रीमती पटेल गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं।
राजनीतिक अज्ञातवास के बावजूद श्री मोदी के साथ उनकी निकट संबंध बरकरार रहे और उनके राज्यपाल बनने में भी यही निकटता उनके काम आयीं। यही वजह है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ कथित रुप से तकरार जहां उनके मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मुख्य वजह रही तो श्री मोदी के साथ करीबी संबंधों ने उन्हें राज्यपाल के सम्मानित पद पर आसीन करा दिया।