अगर आपमें नेतृत्व क्षमता है तो आप अपना यह हुनर कहीं भी दिखा सकते हैं, चाहे यह जेल की सलाखें हीं क्यों न हों.पूर्व सांसद आनंद मोहन इन दिनों कुछ यही काम जेल में कर रहे हैं.
हालांकि आनंद मोहन की छवि एक बाहुबली की रही है. कानून तोड़ने, हत्या, फिरौती जैसे कई आरोप उन पर लगे हैं.
आनंद मोहन आईएएस जी कृष्णैया की हत्या में सहरसा जेल में कैद हैं और उन्होंने ने वहीं अपनी नेतृत्व क्षमता दिखानी शुरू कर दी है. आनंद मोहन ने जेल प्रशासन और सरकार के खिलाफ अनशन शुरू कर दिया है. उनका अनशन सहरसा जेल में बंद तीन कैदियों की मौत की जांच में कोताही को ले कर है.
आनंद मोहन ने यह अनशन रविवार को शुरू किया. हालांकि रविवार को इस अंशन में मात्र 40-50 कैदी शामिल हुए. लेकिन दैनिक जागरण की खबरों में बताया गया है कि सोमवार को इस अंशन में जेल के सैकड़ों कैदी शामिल हो गये हैं. अनशनकारियों का कहना है कि कैदियों की मौत जेल प्रशासन और सरकार की लापरवाही का नमूना है.
कैदियों का आरोप है कि जेल में बंद कैदियों के संग उचित व्यवहार नहीं किया जाता. उनका आरोप है कि कैदियों को निर्दारित मानदंड के अनुरूप भोजन भी नहीं दिया जाता.
आनंद मोहन 1990 के आखिरी दशक तक सक्रिय राजनीति में रहे. उन्होंने बिहार पीपुल्स पार्टी नाम एक राजनीतिक पार्टी भी बनायी. वह लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं. उनकी पत्नी लवली आनंद भी सांसद रह चुकी हैं.
आनंद मोहन के ऊपर आरोप लगा कि उन्होंने अपने सहयोगियों के संग मिल कर मुजफ्फरपुर के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या कर दी.