मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि प्राकृतिक आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए ऐसी तकनीक को अपनाने की जरूरत है, जिससे नुकसान कम से कम हो। श्री कुमार ने राजधानी के अधिवेशन भवन में बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच 2017 को संबोधित करते हुये कहा कि प्राकृतिक आपदा को कोई नहीं रोक सकता। आपदा से जान-माल का नुकसान होता है। यह नुकसान कम से कम हो, हमारा यही लक्ष्य है। हमें यह लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये कि कैसे आपदा के प्रभाव को कम कर सकें। हमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने बिहार को बहुआपदा प्रभावित राज्य बताया और कहा कि राज्य में विचित्र स्थिति है। प्रदेश बाढ़ एवं सुखाड़ दोनों से प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि यदि बिहार में वर्षा कम हो फिर भी पड़ोसी देश या अन्य राज्यों में हो रही वर्षा से बिहार प्रभावित होता है। यदि नेपाल में भारी वर्षा हुयी तो नेपाल से निकलने वाली नदियों में उफान आयेगा। यदि मध्यप्रदेश एवं झारखंड में अधिक बारिश हुयी तो दक्षिण बिहार में बाढ़ की स्थिति बन जायेगी। इसी तरह यदि उत्तराखंड में अधिक वर्षा हुयी तो गंगा में उफान आ सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को हर साल बाढ़ और सुखाड़ से लड़ने के लिये तैयार रहना पड़ता है।
श्री कुमार ने कहा कि वर्ष 2008 की कोसी त्रासदी के एक साल पहले वर्ष 2007 में भी बिहार में भीषण बाढ़ आयी थी। बाढ़ से 22 जिले और 2.5 करोड़ लोग प्रभावित हुये थे। लोगों को राहत पहुंचाया गया, आपदा प्रबंधन का कार्य किया गया। राहत कार्य के दौरान कई चुनौतियां भी सामने आयीं। उन्होंने कहा कि पहले कहा जाता था कि राज्य में 86 प्रतिशत छोटे एवं सीमान्त किसान हैं लेकिन राहत कार्य के दौरान पता चला कि उनकी संख्या लगभग 96 प्रतिशत है। उसी समय यह तय किया गया कि सब चीजों के लिये मापदंड बनाये जाएंगे। किस स्थिति में क्या करना है, इसके लिये एसओपी बनाया जायेगा।