उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मसले का हल आपसी सहमति से किये जाने की सलाह देते हुए कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह इस मामले में मध्यस्थता करने के लिये तैयार है।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की खंडपीठ ने आज न्यायालय में यह मामला लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी नेता और सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से कहा कि अयोध्या विवाद का समाधान न्यायालय से बाहर करने का प्रयास करें। पीठ ने कहा कि यह संवेदनशील और भावनाओं से जुड़ा मामला है। इसलिए बेहतर होगा कि मामले से जुड़े पक्ष इसे आपसी सहमति से सुलझा लें।
श्री केहर ने यह भी कहा कि यदि संबंधित पक्ष चाहें तो वह खुद इस मामले में मध्यस्थता करने को तैयार है या किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को भी वह इसके लिए चुन सकते हैं। सरकार ने शीर्ष न्यायालय की सलाह का स्वागत किया है। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने भी उच्चतम न्यायालय की सलाह का स्वागत करते हुए कहा कि यह मामला बातचीत से ही हल हो सकता है और दोनों पक्षों को इसकी पहल करनी चाहिए। पीठ ने सुझाव देते हुए इस बात पर भी बल दिया कि दोनों पक्षों को “थोड़ा दें-थोड़ा लें” की भावना अपनानी चाहिए, जिससे कि मसले का कारगार समाधान निकाल सके। श्री केहर ने कहा कि न्यायालय के इस मसले पर आदेश को मानने के लिए सभी संबंधित पक्ष बाध्य होंगे, लेकिन ऐसे संवेदनशील मामलों का बेहतर हल बातचीत से ही निकल सकता है।