मोदी समर्थकों के लिए यह निराशाजनक है क्कोयोंकि राजनाथ सिंह ने कहा है कि मोदी को तब तक प्रधानमंत्री का प्रत्याशी घोषित नहीं किया जाएगा जब तक पार्टी में आम सहमति नहीं बन जाती.
मुम्बई में एक अंग्रेजी अखबार द्वार आयोजित समारोह में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ ने इसके अलावा एक और बात कही है. उन्होंने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने की वजह से पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि इसकी वजह कुछ और थी. उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी कुछ अन्य वजहों से खुश नहीं थे.
इधर बिहार असेम्बली में नीतीश कुमार ने साफ किया है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की और से समझौता करने के लिए कई बार संदेशा आया था पर हम नहीं माने क्योंकि उनकी शर्तें हमें मंजूर नहीं थीं.
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अब चूंकि भाजपा और जद यू के रास्ते अलग-अलग हो चुके हैं ऐसे में दोनों पार्टियों की अंदुरुनी बातें सामने आने लगी हैं. नीतीश कुमार का भाजपा से अलग होना, लालकृष्ण आडवाणी का पार्टी के तमाम पदों से इस्तीफा देना और इन तमाम घटनाक्रम के पटाक्षेप के बाद राजनाथ सिंह द्वारा मोदी के मामले में दिया गया बयान यह कई संकेत देते हैं.
जिसमें से एक संकेत यह भी है कि अगर लालकृण आडवाणी के इस्तीफे की वजह यह नहीं थि कि वह मोदी को भाजपा चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाये जाने से नाराज थे तो अब प्रश्न यह है कि क्या भाजपा नेतृत्व को आडवाणी ने मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किये जाने की शर्त पर अपना इस्तीफा वापस लिया था?