केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आज स्पष्ट किया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(5) के वर्तमान प्रावधानों के तहत किसी भी व्यक्ति द्वारा संशोधित रिटर्न तभी दाखिल किया जा सकता है जब अधिनियम की धारा 139 (1) के तहत रिटर्न भरने के बाद अथवा धारा 142 (1) के तहत जारी नोटिस के प्रत्युत्तर में रिटर्न भरने के बाद उसे अपने रिटर्न में किसी चूक अथवा किसी गलत विवरण के बारे में पता चलता है।
सीबीडीटी ने जारी स्पष्टीकरण में कहा कि अधिनियम की धारा 139 (5) के तहत संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल करने के प्रावधान में यह साफ-साफ उल्लेखित है कि मूल आयकर रिटर्न में दर्ज किसी गलत विवरण अथवा चूक को ठीक करने के लिए ही संशोधन किया जा सकता है, न कि पूर्व में घोषित आय में संशोधन करने के उद्देश्य से इसमें संशोधन किया जा सकता है, ताकि पूर्ववर्ती घोषित आय के स्वरूप, सार एवं मात्रा में व्यापक परिवर्तन किये जा सकें।
उसने कहा कि यदि आयकर विभाग को किसी ऐसे मामले का पता चलता है, जिसमें आय, उपलब्ध नकदी, लाभ इत्यादि में हेराफेरी की गई है अथवा खातों में हेरफेर किया गया है, तो वैसी स्थिति में इन मामलों की छानबीन की जा सकती है, ताकि संबंधित वर्ष के दौरान वास्तविक आमदनी का पता लगाया जा सके। इस तरह के मामलों में जुर्माना लगाया जा सकता है या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। सीबीडीटी ने कहा कि नोटबंदी के बाद कुछ करदाता आय, उपलब्ध नकदी, मुनाफे इत्यादि के आँकड़ों में हेराफेरी करने के उद्देश्य से पूर्ववर्ती निर्धारण वर्ष के लिए दाखिल आयकर रिटर्न को संशोधित करने के उद्देश्य से इस प्रावधान का दुरुपयोग कर सकते हैं, ताकि चालू वर्ष की अघोषित आय (चालू वर्ष में पुराने नोट के रूप में रखी गई अघोषित आय सहित) को पूर्ववर्ती रिटर्न में दर्शाया जा सके। ऐसे मामलों की जाँच हो सकती है और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।