मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी जदयू सरकार में शामिल राजद व कांग्रेस सत्ता में अपनी हिस्सेदारी को लेकर बराबर भ्रम और संशय की स्थिति में रहते हैं। राजद नेतृत्व के दबाव में सीएम नीतीश ने पिछले मई महीने में सभी राजनीतिक आयोगों और बोर्डों के पदधारकों से इस्तीफा ले लिया था। पुराने आयोगों में सभी सदस्य जदयू के थे।
नौकरशाही ब्यूरो
अच्छे दिन का अभी करना होगा इंतजार
आयोगों के पुनर्गठन का दबाव महागठबंधन के तीनों दलों के कार्यकर्ताओं का है। जदयू में अभी काफी लोग कुर्सी अघाय हुए हैं। उनमें बेसब्री नहीं है। पार्टी में संगठन का चुनाव भी होना है, इस कारण हड़बड़ी नहीं दिखायी दे रही है। इसके विपरीत राजद कार्यकर्ता जल्दबाजी में हैं। उन्हें उम्मीद थी कि आयोगों का पुनर्गठन जल्द कर दिया जाएगा, लेकिन विलंब से अधैर्य होते जा रहे हैं। कार्यकर्ता भी ‘अच्छे दिन’ के इंतजार में हैं। सूत्रों की मानें तो जदयू संगठन चुनाव के कारण आयोग के गठन में विलंब लंबा हो सकता है। इस मामले में कांग्रेस भी अपनी हिस्सेदारी का इंतजार कर रही है। उसमें हड़बड़ी नहीं है। राजद, जदयू और कांग्रेस तीनों पार्टियों के कार्यालय और नेताओं के आवास मिलने के इंतजार में लोग खड़े दिख जाते हैं। कभी मुलाकात होती है, कभी नहीं भी होती है।
कुछ अध्यक्ष पदों पर बनी सहमति
इस बीच प्राप्त जानकारी के अनुसार, तीनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय हो गया है। कुल 74 सीटों पर लोगों की नियुक्ति की जानी है। इसमें राजद 30, जदयू 30 और कांग्रेस के हिस्से में 14 सीटों का आवंटन हुआ है। पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति आयोग और महिला आयोग का अध्यक्ष पद राजद के कोटे में गया है, जबकि सवर्ण आयोग, अतिपिछड़ा आयोग और 1974 सेनानी पेंशन आयोग का अध्यक्ष पद जदयू के कोटे में गया है। कांग्रेस के कोटे में बालश्रमिक आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग का अध्यक्ष पद गया है। हालांकि इसे अभी अंतिम नहीं माना जा सकता है, क्योंकि अभ्यर्थी के कद और अनुभव के आधार पर फेरबदल होने की पूरी संभावना है।लेकिन आयोगों के पुनर्गठन का अभी डेट तय नहीं है। इस संबंध में कोई भी खेमा कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हर तरफ से इंतजार करने का संकेत ही मिल रहा है। फिर भी माना जा रहा है कि जदयू के संगठनात्मक चुनाव के बाद आयोगों का पुनर्गठन हो सकता है।