सत्ता के गलियारे में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सरगरमी तेज है। सत्तारूढ़ दलों जदयू, राजद और कांग्रेस के प्रदेश कार्यालयों और नेताओं के आवास पर जुटने वाली कार्यकर्ताओं की भीड़ के चेहरे पर उम्मीद पढ़ी जा सकती है। लेकिन अब उम्मीद पर इंतजार भारी पड़ रहा है।
वीरेंद्र यादव, ब्यूरो प्रमुख, /naukarshahi.com/
मई महीने में राजनीतिक नियुक्तियों वाले सभी आयोगों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों से इस्तीफा ले लिया गया था। इसके बाद इनके पुनर्गठन को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। करीब 15 आयोगों के लगभग 80 अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दिया था। इनमें से जेपी सेनानी परिषद के चार सदस्यों को छोड़कर सभी लोगों का इस्तीफा मुख्यमंत्री की सहमति के बाद स्वीकर कर लिया गया है। इस्तीफा स्वीकृति संबंधी भेजे गए पत्रों में साफ शब्दों में लिखा हुआ है कि इस संबंध में सीएम की सहमति प्राप्त है। मई तक कुछ आयोगों और अकादकमियों में नियुक्त लोगों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका था।
जदयू की हिस्सेदारी घटेगी
आयोगों के पुनर्गठन में अपवाद को छोड़कर इस्तीफा देने वाले किसी भी पूर्व सदस्य को दुबारा मौका मिलने की संभावना नहीं है। यानी पुराने सदस्यों को मौका नहीं मिलेगा। उनकी जगह पर नये सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। इसका खामियाजा जदयू को भुगतना पड़ेगा। क्योंकि सीट कम होने के कारण पुराने सदस्यों के बजाये नये सदस्यों को एडजस्ट किया जाएगा। उधर राजद में दावेदारों की लंबी लिस्ट है। राजद व कांग्रेस कोटे से शामिल होने वाले सभी सदस्य नये ही होंगे। इस कारण ज्यादा उम्मीद और अपेक्षा इन्हीं दो दलों में देखी जा रही है।
उम्मीद पर भारी पड़ रहा इंतजार
लेकिन अब उम्मीद पर इंतजार भारी पड़ने लगा है। उम्मीद थी कि जुलाई के मध्य तक रिक्त पदों को भर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक संभव नहीं हो सका है। इस कारण कार्यकर्ताओं की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। सत्ता के गलियारे से मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा बंधन के पूर्व रिक्त पदों को भर दिया जाएगा। अनुमान है कि मानसून सत्र के कारण नियुक्तियों में विलंब हो रहा है। मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होगा। हालांकि अंतिम निर्णय सीएम नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू यादव और कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी को करना है। हिस्सेदारी को लेकर कोई ठोस फार्मूला नहीं बना है। लेकिन माना जा रहा है कि विधायकों की संख्या के अनुपात में आयोगों में तीनों दलों को हिस्सेदारी मिल सकती है।
आयोगों के रिक्त पद
बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग- 6, पिछड़ा वर्ग आयोग -4, महादलित आयोग – 4, बालश्रमिक आयोग- 4, अनुसूचित जाति आयोग- 5, अनुसूचित जनजाति आयोग – 2, अतिपिछड़ा वर्ग आयोग- 5, राज्य खाद्य आयोग – 6, बाल अधिकार संरक्षण आयोग – 7, सवर्ण आयोग – 6, किसान आयोग – 3, राज्य महिला आयोग – 8, जेपी सेनानी सलाहकार परिषद – 7, मछुआरा आयोग – 6, नागरिक परिषद – 8 ।
और भी हैं आयोग
इनके अलावा भी कई आयोग और निगम-बोर्ड हैं, जिन पर नियुक्ति राजनीतिक आधार पर होती है। लेकिन राजनीतिक और तकनीकी कारणों से उनसे इस्तीफा नहीं मांगा गया, लेकिन आने वाले दिनों में उन पदों पर नियुक्तियों में भी तीनों दलों के हितों का ध्यान रखा जाएगा।