कोबरापोस्ट ने अपनी इस तहकीकात में यह खुलासा किया है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने असम से लाई गई 31 आदिवासी नाबालिग लड़कियों को शिक्षा के नाम पर लाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया है ।धर्म परिवर्तन का यह खेल वर्षों से चला आ रहा है।
कोबरा पोस्ट ने अपनी तहकीकाती रिपोर्ट में लिखा है कि जून 2015 में पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति से 31 लड़कियों को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कहीं और ले जाने के लिए उतारा जाता है। पुलिस को इस मामले की भनक लगती है और वो इन नबालिग लड़कियों को अपनी हिरासत में ले लेती है। इन लड़कियों को दो महिलाए कोरबी और संध्या, असम से लेकर आ रही थी। ये दोनों महिलाएं आरएसएस के समाजिक संगठन सेवा भारती के लिए काम करती हैं। पुलिस अभी इस मामले की जांच ही कर रही होती है कि लगभग 200 लोगों की भीड़ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर धावा बोल देती है और पुलिस आनन फ़ानन में गुजरात से इन लड़कियों को ले जाने के लिए आए रमणिक नाम के शख्स को सौंप देती है।यहां से इनमें से कुछ लड़कियों को गुजरात के हलवद और कुछ को पंजाब के पटियाला शहर ले जाया जाता है।
यह घटना मीडिया में खबर नहीं बन पाती
आखिर ये लड़कियां जिनकी उम्र 8-14 साल के बीच में थी वो कौन थी, कहां से आई थी, क्यों लाई गई थी, यह बात सामने नहीं आ पाती है। इन्हीं सवालों के जवाब ढूढ़ने की शुरूआत जब कोबरापोस्ट की टीम ने की तो जो हमारे सामने जो सच निकलकर आया वो बेहद चौंकाने वाला था।
-दरअसल देशसेवा के नाम पर आरएसएस इन मासूम बच्चों को हिंदू बना कर उन्हे एक हिंदू मिशनरी के रूप में काम करने के लिए तैयार कर रही है।
कोबरापोस्ट ने इस मामले की इंवेस्टिगेशन के दौरान दिल्ली, गुजरात, पंजाब और असम का दौरा किया। इस तहकीकात में हमारी टीम ने चाइल्ड वेलफेयर एसोसिएशन (मयूर विहार) की चेयरमैन सुषमा विज, दिलीप भाई (केयर टेकर-श्री स्वामी नारायण मंदिर सेवाश्रम, दिल्ली), रमणिक भाई (गुजरात), बीना और संध्या (पटियाला) से मुलाकात की। इस तहकीकात में हमारे सामने जो हकीकत सामने आई वो इस मामले को हमारे सामने साफ साफ खोलकर रख देने के काफ़ी थी।
इस तहकीकात में निकलकर आया कि–
-नई दिल्ली स्टेशन पर उन 31 बच्चियों को कस्टडी में लेने के बाद पुलिस को उन्हे सबसे पहले सुषमा विज अध्यक्ष चाइल्ड वेलवेफ़यर कमेटी –मयूर विहार, नई दिल्ली के सामने पेश करना चाहिए था,लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया।
-बच्चों को आसाम से लेकर आ रही कोरबी और संध्या के पास इन बच्चियों के घर वालों का अनुमति पत्र नहीं था, लेकिन पुलिस ने इसके बावजूद कोई एक्शन लेने की जहमत नहीं उठाई।
-इन सभी नाबालिग आदिवासी, ईसाई लड़कियों को असम से मुफ़्त शिक्षा के नाम पर लाया गया था और यहां उनका शुद्धिकरण करके धर्म परिवर्तन करा दिया गया।
-यह सारा काम आरएसएस की छत्रछाया में चल रहा है।
-इस खेल में आरएसएस की इकाई सेवाभारती और विद्याभारती का नाम सामने आया है।
– इस खेल में सेवाभारती देश के अलग अलग हिस्सों से अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से गरीब ईसाई, आदिवासी परिवारों को चिन्हित कर उनके बच्चों को विद्याभारती द्वारा संचालित स्कूलों और छात्रावासों तक पहुंचाती है।
– इस पूरे खेल में आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं। नियम के अनुसार बच्चों को जिस राज्य से, जिस राज्य तक और जिस राज्य से होकर ले जाया जाता है वहां के चाइल्ड वेलफ़ेयर कमेटी के चेयरमैन की अनुमति जरूरी होती है।
– इसके अलावा बच्चों को इस तरह से लाने-ले जाने के लिए उनके माता-पिता की लिखित अनुमति अनिवार्य होती है।
-धर्मपरिवर्तन का यह खेल काफी सालों से चल रहा है।
-रमणिक भाई इस काम को लंबे समय से अंजाम दे रहा है।
-जब हमने इन बच्चियों के माता पिता को खोजने की कोशिश की, तो जो मिले उनमें से कुछ तो डर से बोले नहीं और जो बोले उन्होंने साफ साफ आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों का नाम लिया।
ये पूरी तहकीकात कोबरापोस्ट के वेबसाइट पर उपलब्ध है। कोबरापोस्ट के इंवेस्टिगेशन से साबित होता है कि RSS से जुड़े लोग किस प्रकार से गरीब घर की लड़कियों के माता पिता को को मुफ़्त शिक्षा, और पैसों का लालच देकर अपने हिंदुत्व के एजेंडे को बेरोक टोक आगे बढ़ा रहे हैं।
इस खबर से संबधित वीडियो कोबरा पोस्ट के इस लिंक पर देख सकते हैं