सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सरकार बाध्य है कि वह मुफ्त में सचूना दे बस आपको सिर्फ फोटो कॉपी के पैसे देने पड़ेंगे. पर यहां पढिए इस सूचना के लिए एक करोड़ 35 लाख रूपये क्यों मांगा गया?
महफूज राशिद, बेगूसराय से
दरअसल बक्सर जिले के आरटीआई वर्कर शिवप्रकाश राय ने बिहार के सभी जिलों के जमीन के क्रय- विक्रय संबंधी सूचना की मांग 17 सितंबर 2012 को महाननिरीक्षक निबंधन बिहार से की थी। जब बेगूसराय से इस सूचना की मांग की गई तो यहां के सूचना अधिकारी ने कहा कि इस सूचना को देने में एक करोड़ 34 लाख 23 हजार 50 रूपये का खर्च आएगा अगर आवेदक इतनी राशि जमा करेगें तब जाकर उक्त सूचना मुहैया कराई जा सकती है।
दरअसल आरटीआई में सूचना मांगने में यह नियम है कि अगर किसी विभाग से सूचना देने में उस विभाग केा काम में खर्च आता है तो वह खर्च आवेदक को देना है। आवेदक शिवप्रकाश राय ने वर्ष 2007-08 से 2012-13 तक जिले के शहर और उसके आसपास खरीद व ब्रिकी की गई जमीन के क्रय व विक्रेता की सूची, आयकर विभाग को दी गई सूची के अलावे कृर्षि योग्य जमीन की खरीद के बाद उसे अगर व्यवसायिक रूप से बेची गई है तो उसकी सूची मांगी थी।
इस संबंध में बेगूसराय निबंधन विभाग ने कहा कि इस सारी सूचना को जमा कर देने में 1 करोड़ 35 लाख रूपये का खर्च आएगा अगर आवेदक इतनी राशि देते है तब दस्तावेज की खोज और आवेदक को स्वंय या उने प्रतिनिधि को निबंधन विभाग का निरीक्षण करने दिया जाएगा जिसके बाद जितनी कापी उन्हें दस्तारवेज लेना होगा उसका अलग से शुल्क देना होगा।
इस संबंध में सूचना अधिकारी ने इसकी जानकारी आवेदक तथा महानिरीक्षक निबंधन पटना को भेज द।