सरकार ने रिजर्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपये की मांग करने की रिपोर्ट का खंडन करते हुए शुक्रवार को कहा कि उसने रिजर्व बैंक को किसी भी रकम के हस्तांतरण के लिए नहीं कहा है।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने यहां ट्वीट कर कहा “मीडिया में बहुत गुमराह करने वाली अटकलें चल रही हैं। सरकार का राजकोषीय गणित पूरी तरह से पटरी पर है। आरबीआई से 3.6 या एक लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करवाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।”
श्री गर्ग ने कहा कि सरकार भारतीय रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी रूपरेखा को तय करने के बारे में विचार-विमर्श कर रही है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत के लक्ष्य के अंदर ही रहेगा, सरकार इस साल के बजट में बाजार से कर्ज लेने के लक्ष्य में स्वयं ही 70,000 करोड़ रुपये की कटौती कर चुकी है।
उन्होंने सरकार के राजकोषीय गणित में विश्वास जताते हुए कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने के बजट में तय लक्ष्य के भीतर बनाए रखने में सफल रहेगी। वर्ष 2013-14 में सरकार का राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत था और इसके बाद से सरकार इसे लगातार कम करने में सफल रही है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत तक सीमित कर दिया जाएगा। सरकार ने बजट में इस साल बाजार से कर्ज जुटाने का जो अनुमान रखा था उसमें 70000 करोड़ रुपये की कमी स्वयं ही कर दी है। गौरतलब है कि सरकार और रिजर्व बैंक में कई मामलों को लेकर तकरार चल रही है।
गौरतलब है कि मीडिया के एक सेक्शन में खबर चल रही थी कि मोदी सरकार ने आरबीआई से 3.6 लाख करोड़ रुपये देने को कहा था. जिसे आरबीआई ने देने से साफ मना कर दिया था. इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली का बयान आया था कि आरबीआई को सरकार के साथ हुई बैठकों के मिनट्स को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केन्द्र सरकार रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की 19 नवंबर को होने वाली बैठक में अपना अहम एजेंडा सामने करते हुए बोर्ड में रिजर्व बैंक के गवर्नर की भूमिका को कम कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार और रिजर्व बैंक के गवर्नर के बीच विवाद की अहम वजह केन्द्रीय रिजर्व बैंक के पास मौजूद 9.6 ट्रिलियन (9.6 लाख करोड़) रुपये की रकम है।