करीब चार वर्षों तक भाजपा से ‘तलाक’ झेलने के बाद नीतीश कुमार फिर से अपने ‘घर’ लौट रहे हैं। 19 अगस्त को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ‘घर वापसी’ पर मुहर लग जाएगी। इसके बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार में क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) भाजपा की छतरी वाले एनडीए का हिस्सा बन जाएगा। इसके बाद क्षेत्रीय पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को किसी फार्म हाउस में मिलने के बजाये खुले मंच पर मिल सकेंगे। संभव है कि एनडीए का हिस्सा बनने के बाद नीतीश कुमार को एनडीए के समन्वयक का पदभार सौंपा जाए।
19 अगस्त को नीतीश की ‘घर वापसी’ का जश्न
वीरेंद्र यादव
इसके बाद केंद्र की भाजपा सरकार में जदयू भी शामिल हो सकती है। भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार, सरकार पार्टी की होती है, गठबंधन की नहीं। केंद्र सरकार भाजपा की है, एनडीए जैसे गठबंधन की नहीं। ठीक वैसे ही जैसे बिहार में जदयू की सरकार है, जिसे भाजपा का समर्थन प्राप्त है। दूसरे शब्दों में जिस पार्टी का नेता पीएम या सीएम होता है, सरकार उसी पार्टी की होती है।
केंद्र सरकार में जदयू के एक सदस्य को राज्य मंत्री के रूप जगह मिल सकती है। इसमें राज्य सभा में जदयू के नेता आरसीपी सिंह या लोकसभा में जदयू के नेता कौशलेंद्र कुमार हो सकते हैं। दोनों सदनों में जदयू सांसदों की संख्या एक दर्जन है। चर्चा हरिबंस नारायण सिंह की भी थी, लेकिन बिहार से पहले से ही दो राजपूत केंद्र में मंत्री हैं। इस कारण उनकी संभावना क्षीण हो गयी। वैसे भी नीतीश कुमार की पहली प्राथमिकता स्वजातीय उम्मीदवार ही होते हैं। उस लिहाज से आरसीपी सिंह या कौशलेंद्र कुमार ही फीट बैठते हैं। वैसे पार्टी कर्पूरी ठाकुर के पुत्र सांसद रामनाथ ठाकुर के नाम पर भी विचार कर सकती है।