सरकार ने नोटबंदी के मद्देनजर अगले वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 6.75 फीसदी से लेकर 7.50 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताते हुये आज कहा कि आर्थिक गतिविधियाँ अब सामान्य होने लगी हैं, क्योंकि नये नोट आवश्यक मात्रा में चलन में आ गये हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2017 पेश किया जिसमें विकास का यह अनुमान लगाया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकर अरविंद सुब्रमणियम् ने तैयार किया है।
इसे संसद में पेश किये जाने के बाद उन्होंने यहाँ संवाददाताओं से कहा कि नोटबंदी के साथ ही वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुये विकास अनुमान निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ नये विषय जोड़े गये हैं और सार्वभौमिक न्यूनतम आय (यूबीआई) की परिकल्पना शामिल की गयी है ताकि गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके। हालाँकि, उन्होंने कहा कि यह सिर्फ परिकल्पना है और अभी इस पर गंभीर विचार-विमर्श की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपेक्षाकृत निम्न मुद्रास्फीति दर, राजकोषीय अनुशासन तथा व्यापक रूप से स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के साथ मामूली चालू खाता घाटे का लक्ष्य हासिल कर लगभग स्थिर आर्थिक माहौल बनाये रखा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्तमान में जारी वैश्विक मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुयी है।
केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2016-17 के लिए स्थिर बाजार मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 7.1 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2015-16 मे विकास दर 7.9 प्रतिशत रही थी। पहले पिछले वित्त वर्ष में विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने की बात की गयी थी, लेकिन आज जारी पहले संशोधित अनुमान में इसे बढ़ाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया गया है।