निगम, बोर्ड, आयोगों में नियुक्ति के लिए इंतजार कर रहे राजद, जदयू और कांग्रेस उम्मीदवारों का इंतजार अभी लंबा खींच सकता है। उम्मीद थी कि छठ के बाद निगम, बोर्ड, आयोगों के अध्यक्ष व सदस्य पदों पर नियुक्ति हो सकती है। सीएम नीतीश कुमार के आवास पर लालू यादव के परिवार के भोज के बाद नियुक्ति की चर्चा काफी तेज थी, लेकिन अब उस पर ‘नीतीश निश्चय’ का ग्रहण लग गया है। मुख्यमंत्री अभी ‘निश्चय यात्रा’ कर रहे हैं। यात्रा की समाप्ति के बाद ही आयोगों पर विचार होगा। हालांकि उसकी समय सीमा भी तय नहीं है।
वीरेंद्र यादव
नीतीश कुमार की सरकार राजद और कांग्रेस के समर्थन से चल रही है और महागठबंधन सरकार अपना एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रही है। लेकिन एक वर्ष में पार्टी कार्यकर्ताओं को ‘उम्मीदों और इंतजार’ के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष पनप रहा है। राजद के एक कार्यकर्ता ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपने जन्म दिन पर पेड़ लगवा रहे हैं और कार्यकर्ता ‘सूख’ रहा है। कार्यकर्ताओं की सेहत की चिंता किसी को नहीं है। आयोग के सदस्य रह चुके एक कार्यकर्ता का मानना है कि जिन राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करना हो, जल्दी कर देना चाहिए, ताकि शेष लोग अपने अन्य कामों में जुट सकें। इंतजार में सभी बेकार हो गए हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भी अपनी पीड़ा है।
उल्लेखनीय है कि मई महीने में अधिकतर आयोग, निगम और बोर्ड के पदधारकों से सरकार ने इस्तीफा ले लिया था। इसकी वजह थी कि सहयोगी दल राजद और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी हिस्सेदारी देना बताया गया था। लेकिन पिछले छह महीने में नयी नियुक्ति संभव हो सकी है और न फिलहाल नियुक्ति की जल्दबाजी नजर आ रही है। वैसे में कार्यकर्ताओं के पास इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
महागठबंधन के जिला अध्यक्ष के चेहरे पर आएगी हरियाली
उधर बीस सूत्री के शीघ्र गठन होने की संभावना बढ़ गयी है और इस संबंध में सीएम ने हरी झंडी दिखा दी है। राजद, जदयू और कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बीस सूत्री के उपाध्यक्ष होंगे। इसका गठन प्रखंड स्तर पर किया जाएगा। लेकिन राज्य स्तरीय कमेटी में उपाध्यक्ष को लेकर अनिश्चय बरकरार है। क्योंकि जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह राज्य सभा सदस्य हैं और कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चौधरी राज्य सरकार में मंत्री हैं। हालांकि राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे अभी किसी लाभ के पद पर नहीं हैं। संभव है, वे राज्य कमेटी में अकेले उपाध्यक्ष हों। मुख्यमंत्री 20 सूत्री के अध्यक्ष होते हैं, जबकि जिलों में प्रभारी मंत्री अध्यक्ष होते हैं। सभी कमेटी में 30-30 सदस्य मुख्यमंत्री मनोनीत करेंगे।