रिश्वत लेकर फैसले सुनाने के आरोप में बिहार के आरा सेशन कोर्ट के मुंसिफ शंभूनाथ वर्मा को जबरन रिटायरमेंट दे दिया गया है.पिछले एक महीने में अपनी तरह का यह तीसरा मामला है जब विभिन्न आरोपों में जजो को नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य किया गया है.
ताजा मामले में हाइकोर्ट की स्टैंडिंग कमेटी ने भी शंभूनाथ वर्मा को हटाने की अनुशंसा की थी. सुनील कुमार नामक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि चुनाव से संबंधित एक याचिका में शंभूनाथ वर्मा ने अपनी महिला चपरासी के माध्यम से चार लाख रुपय रिश्वत लिये और बिना उनका पक्ष सुने ही एकतरफा फैसला सुना दिया.
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लड़की का इंतजाम करने वाले ने ही पकड़वाया था जजों को
सुनील का कहना है कि जब उनसे फैसले की प्रति मांगी गयी, तो मुंसिफ शंभूनाथ वर्मा ने फैसले की प्रति भी उपलब्ध नहीं करायी.
मुख्य न्यायाधीश रेखा एम दोशित की अध्यक्षता में मंगलवार को सभी जजों की फुल कोर्ट कमेटी ने मुंसिफ शंभूनाथ वर्मा को तत्काल प्रभाव से अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला सुनाया है.
इससे पहले दो अन्य मामलों में बिहार के ही सेशन जज हरिनिवास गुप्ता और कोमल राम को नेपाल के एक होटल में लड़कियों के साथ पकड़े जाने के जुर्म में बर्खास्त कर दिया गया था. ऊपरी अदालत ने यह फैसला पिछले महीने लिया था.