लोकसभा ने ट्रिपल तलाक पर पेश बिल को मंजूर कर लिया है. राज्यसभा से पास होने के बाद यह कानून बन जायेगा. हमारे सम्पादक इर्शादुल हक उन चार कारणों को गिना रहे हैं जिसके अनुसार यह कानून दहेज के खिलाफ बने कानून की तरह बकवास साबित होगा.
एक
सुनयिये भारत के सांसदो.आप तलाक पर कोई कानून बना लीजिए. या राष्ट्रपति का आदेश ही लागू कर दीजिए.यह कानून एक बकवास से ज्यादा कुछ साबित नहीं होने वाला. यह कानून ठीक उसी तरह बकवास या रद्दी का दस्तावेज साबित होगा जिस तरह दहेज के खिलाफ आपने कानून बना रखा है. हमारी संसद दहेज के अभिषाप को रोक पायी है क्या? हर घर में दहेज आता है. हर घर दहेज देता है. अपवाद छोड़ दीजिए. इसी तरह तलाक पर तीन साल की सजा ही क्या फांसी का निजाम ही कायम कर दीजिए. यह रुकने वाला नहीं है.
दो-
परिवार से जुड़ा विवाद समाज मिटा सकता है, कानून का डंडा तो हरगिज नहीं मिटा सकता. जिन समुदायों में अपने समाज के प्रति संवेदनशीलता है वहा दहेज का अभिषाप अपेक्षाकृत कम है. इस बात का सुबूत देखना हो तो मुस्लिम समाज को देखिए. जहां अपेक्षाकृत देहजे का लेनदेन कम है या कहीं कहीं ना के बराबर है.
तीन
और सुनिये तलाक का मसला परिवार से जुड़ा मसलमा है. आपने इसे क्रिमिनल आफेंस बना डाला है. इस सिविल इश्यु को क्रिमिनल इश्यु बना कर आप क्या दिखाना चाहते हैं.
चार
आप को मुस्लिम महिलाओं की चिंता है. तो तलाकशुदा महिलाओं के लिए, उनकी रोटी रोजी के लिए आपके पास क्या कानून है? है क्या कोई विकल्प आपके पास. हम कल्याणकारी राज्य हैं तो हमे साबित करना होगा कि हम हैं. इसलिए इस तरह का कानून बनाने के पीछे आपके बेईमानी साफ झलक रही है. #TrippleTalaqBill