इराक में चार महीने क्रूरता के शिकार रहे रऊफुल रविवार को अपने घर मोतिहारी के निकट रक्सौल के गांव नौका टोला पहुंच गये. वहां पहुंचते ही उन्होंने सबसे पहले नौकरशाही डॉट कॉम को अपनी दर्दनाक कहानी सुनायी.
रउफ का पूरा नाम रऊफुल आलम है. रफीक आलम पिता का नाम है. भारत नेपाल सीमा पर रक्सौल के निकट नौका टोला के रऊफ ने नाम-पता लिखने लायक पढाई की है. रोटी की तलाश में वह गल्फ जाने की इच्छा रखते थे. एक दिन इसी बीच उनकी तलाश कलाम नामक एक दलाल से हुई जिसने पैसे ले कर उन्हें दुबई भेज दिया.
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दुबई के रास्ते में सुनहरे भविष्य की कल्पना करते जब वह दुबई एयरपोर्ट पहुंचे तो सबसे पहले उनका पासपोर्ट ले लिया गया. दस दिनों तक उन्हें कोई काम नहीं दिया गया. फिर वहां से उन्हें दलालों ने बशरा, यह कहते हुए भेजा कि वहां काम की जरूरत है. जैसे ही वह बगदाद से कुछ दूर स्थित बशरा शहर पहुंचे तो उन्हें एक कमरे ले जा कर बंद कर दिया गया. जहां पंजाब और भारत के अन्य प्रांतों के आठ लोगों को पहले से कैद रखा गया था.
कैसे सहे वो 18 दिन
रऊफ इसके आगे बताते हुए चौंक जाते हैं. उन्हें दूसरे दिन काम पर लगाने के नाम पर टायलेट सफाई की जिम्मेदारी दी गयी. रऊफ ने इसे करने से इनकार किया तो जानवर की तरह उनकी और आठ अन्य लोगों की पिटाई की गयी. मजबूर हो कर रऊफ टायलट सफाई करने पहुंच गये. लेकिन उनका दिल इस काम को करने को गवारा न था. उन्होंने खुल कर कह दिया कि उन्हें वापस जाने दिया जाये. इतना कहना था कि उनकी फिर बेरहमी से पिटाई की गयी. और एक अन्य कमरे में ठूस कर बाहर से लाक कर दिया गया. उन्हें 18 दिनों तक उसी में रखा गया. न खाना, न पानी. लेकिन इस दौरान उन्हें खिड़कियों से कुछ बांग्लादेशी रहम करते हुए अपने बचे-खुचे खाना पहुंचा देते. कभी पंजाब के कुछ लोग, जो वहां रहते हैं, रऊफ और उनके साथियों को अपने हिस्से का खाना खिला देते.
रऊफ की हालत डर से इतनी खराब हो चुकी थी कि वह ठीक से बोल नहीं पाते. उन्हें इस बात का भी डर सताता कि जिन आठ लोगों को उनके साथ कैद किया गया था, उनमें से दो की पिटाई से मौत हो चुकी थी. फिर अचानक इसी दौरान इराकियों ने उन्हें बताया कि उन्हें उसने 500 डालर में खरीदा है. अगर वह अपने घर जाना चाहता है तो उसे अपने देश से इतनी रकम मंगवानी पड़ेगी. फिर रऊफ को घर फोन करने की छूट दी गयी. इस बीच रऊफ ने कलाम नामक दलाल से भी सम्पर्क किया. उसी कलाम ने आखिर मदद की.
कलाम ने शायद इसलिए भी मदद की क्योंकि नौकरशाही डॉट कॉम समेत भारतीय मीडिया में कलाम की करतूतों की कहनी छप चुकी थी. और इस बीच रऊफुल आलम के भाई सैफुल आलम ने विदेश मंत्रालय और स्थानीय पुलिस अधिकारियों को शिकायत कर रखी थी. कलाम ने रऊफ को बशरा से फिर दुबई बुलवा लिया. फिर रऊफ के भाई ने भारत से टिकट भेजा तो वह वहां से जान बचा कर वापस आने में कामयाब रहे.
जीवन भर रहेंगे नौकरशाही डॉट कॉम का एहसानमंद
रऊफ बताते हैं कि अब अपने जीवन में कभी भी खाड़ी देश का रुख नहीं करेंगे. वह कहते हैं कि अपने खानदान ही नहीं बल्कि जानने वालों को भी राय देंगे कि वह अपने देश में सुखी रोटी खाये लेकिन हसीन सपने की उम्मीद में वहां न जाये.
रऊफ के घर पहुंचने की खबर उनके भाई सैफ ने हमें दी. उन्होंने सबसे पहले कहा कि नौकरशाही डॉट कॉम ने इस मामले में जिस तरह से खबर प्रकाशित की है उसका उन्हें काफी फायदा हुआ. उन्होंने कहा कि वह नौकरशाही डॉट कॉम का एहसान जीवन भर याद रखेंगे.
ध्यान रहे कि कम पढ़े लिखे और अकुशल मजदूरों के साथ उनकी मजबूरी का फायदा उठा कर गल्फ देशों में बेहिसाब मानसिक और शारीरिक शोषण होता है. देश के विभिन्न राज्यों के साथ बिहार के सैंकड़ों लोग वहां जा कर फंस जाते हैं. उन्हें दलाल बेच देते हैं और फिर उनका जीवन नारकीय बन जाता है.