इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में शादी की नीयत से धर्मांतरण को अवैध ठहराया है और ऐसे विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी की एकल पीठ ने श्रीमती नूरजहां और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। न्यायालय ने कहा कि इस्लाम में विश्वास के आधार पर धर्म परिवर्तन किया जा सकता है, लेकिन मुस्लिम युवकों से शादी करने के लिए इस्लाम कबूल करना अवैध है।
न्यायालय ने इस्लाम में आस्था नहीं होने और केवल मुस्लिम युवकों से शादी करने लिए धर्म परिवर्तन करने वाली पांच हिन्दू लड़कियों के विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकायें खारिज कर दी। न्यायालय ने यह फैसला मंगलवार को दिया था, लेकिन न्यायालय की वेबसाइट पर इसे विलम्ब से अपलोड किया गया। न्यायालय ने इस्लाम धर्म कबूल करके मुस्लिम युवकों से शादी करने वाली लड़कियों से जब उनके मजहब के बारे में पूछा तो उन्होंनें अनभिज्ञता जाहिर की। ये लडकियां सिद्धार्थनगर, देवरिया, कानपुर, संभल और प्रतापगढ़ जिलों की हैं।
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