गुजरात पुलिस के लिए केंद्र मे बने नया निजाम ‘सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का’ जैसा तो नहीं है? फर्जी मुठभेड़ में सीबीआई ने जिन पुलिस वालों को इशरत जहां पर गोली दागने का आरोप लगाया था वो अधिकारी बहाल किये जा चुके हैं.
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद गुुजरात पुलिस ने नये अंदाज में काम करना शुरू कर दिया है। इसका ताजा नमूना है कि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ कांड में आरोपित सभी पुलिस पदाधिकारियों को बहाल कर दिया गया है।
इसी से जुड़ी- इशरत जहां मुठभेड़ के आरोपी हिरासत में
इस फर्जी मुठभेड़ कांड के मुख्य अभियुक्त आइपीएस आफिसर जीएल सिंघल को तो 16 मई को ही बहाल कर दिया गया था0 . मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिंघल ने मार्च 2013 में सिंघल ने इंडियन पुलिस सर्विस से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन अब उन्हें एसआरपी गांधीनगर के कमांडेंट पद पर पदस्थापित किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर में बताया गया है कि सीबीआई के अनुसार इशरत जहां पर स्टेन गन से चार गोली दागने वाले अनाजू चौधरी को भी 2 जुलाई को बहाल कर दिया गया है।
अनाजू की बहाली राज्य राजस्व पुलिस (एसआरपी) की गोधरा कैंप में की गयी है। इस मामले का तीसरा आरोपी इंसपेक्टर भरत ए पटेल को गिरफ्तार भी किया गया था। लेकिन उसके खिलाफ कभी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया।
उसे भी साबरकंधा जिले के प्रणजीत थाना में पदस्थापित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि मुम्बई की रहने वाली 19 वर्षीया युवती इशरत जहां और उसके दोस्तों जावेद शेख, अमजद अली राणा और जिशान जोहर की हत्या गुजरात पुलिस ने 15 जून, 2004 को अहमदाबाद में कर दी थी। पुलिस ने दावा किया था कि उनकी हत्या लश्क ए तोयबा के सदस्य होने की आशंका के आधार पर पुलिस के साथ मुठभेड़ में की गयी थी।
इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने कहा था कि लश्कर ए तोयबा के खिलाफ अभियान में कार्रवाई करने का निर्देश तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नहीं दिया था। इस अलावा अन्य दो जांच -दंडाधिकारी व एसआईटी- में भी कहा गया था कि यह फर्जी मुठभेड़ था। एसआईटी का गठन गुजरात हाईकोर्ट के निर्देश पर किया गया था। दंडाधिकारी ने कहा कि अधिकारियों ने प्रोन्नति के फेर में इन चार लोगों की हत्या की थी। इस साल सीबीआई ने दो पूरक आरोप दायर किया था। इसमें 11 लोगों को आरोतिप किया गया था। पिछले 7 मई को एक एजेंसी ने तत्कालीन गृहराज्य मंत्री अमित शाह को भी क्लीन चिट दे दिया था।
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