उन्मादी और घृणित मानसिकता के एंकर के रूप में कुख्यात पत्रकार अर्नब गोस्वामी को न्यज पोर्टल तहलका ने खरीखोटी सुनायी है. गोस्वामी ने तहलका के पत्रकार असद अशरफ को अपने कार्यक्रम में अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया था.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
23 मई को गोस्वामी के न्यूज आवर कार्यक्रम में असद अशरफ ने जब गोस्वामी की बोलती बंद कर दी तो वह व्यक्तिगत टिप्पणी पर उतर आये और जफर को अपमानित कर दिया.
तहलका ने लिखा है कि वह पत्रकार असद अशरफ के पक्ष में मजबूती के साथ खड़ा है. तहलका ने लिखा है कि असद अशरफ न्यूज आवर में अपनी बात रख रहे थे और वह बाटला हाउस एनकाउंटर में पुलिस की कमजोरियों की तरफ इशारा कर रहे थे.
यह भी पढ़ें इन पत्रकारों पर चले देशद्रोह का मुकदमा
गौरतलब है कि बाटला हाउस एनकाउंटर के ऊपर हो रही बहस के दौरान जब असद ने इस मामले में पुलिस के कमजोर पक्ष को रखा तो अर्नब झुल्लाहट में चीखते हुए उन्हें आतंकवादी संगठन को बचाने का आरोप मढ़ दिया और असद को अपना पक्ष तक नहीं रखने दिया.
यह भी पढ़ें- सुन लीजिए! चौरसिया, रोहित, सुमित, सुधीर आप झूठे साबित हो चुके हैं
तहलका ने कहा है कि पत्रकार के नाते असद को इस मामले में इंवेस्टिगेट करने का पूरा हक है. तहलका के वेब सम्पादक वीवीएन मूर्ति ने गोस्वामी की इस करतूत पर उनसे माफी मांगने को कहा है.
उधर सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद अर्नब गोस्वामी के खिलाफ जोरदार मुहिम चल रही है और यह मामला सोशल मीडिया पर शुक्रवार को ट्रेंड कर रहा है.
दूसरी तरफ असद ने एक पोर्टल पर लिखा है कि ‘मैं भूल गया था कि गोस्वामी एक पत्रकार की भूमिका के बजाये जज की भूमिका थे. मैं ने इस कार्यक्रम में उस वीडियो की वैधता पर सवाल उठाया था जिसे आईएसआईस का बताया जा रहा था’.
ध्यान रहे कि एक कथित विडियो में बाटला हाउस कांड में कथित रूप से शामिल एक युवक को दिखा गया है और जिसके बारे में इस चैनल ने कहा था कि वह अब आईएआईस का आतंकवादी बन गा है. इस मामले में ध्यान रखने की बात है भारतीय मीडिया ने जिस युवक को बटला हाउस कांड का आरोपी बता रहा है उसके बारे में तीन तीन बार मीडिया में यह खबर आ चुकी है कि वह मारा गया. असद ने यही मुद्दा नयूज आवर में उठाया था.
ये भी पढ़ें- बायस्ड रिपोर्टिंग से अपमान झेल रहे जी न्यूज को लगा एक और तमाचा
याद करने की बात है कि यह वही अर्नब गोस्वामी हैं जिन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता कन्हैया कुमार और उमर खालिद के ऊपर भी चीख-चीख कर आसमान जमीन एक कर दिया था और उन्हें देशद्रोही तक कह डाला था.
अनर्ब गोस्वामी जैसे पत्रकारों को समझना चाहिए कि उन्मादी पत्रकारिता से देश और समाज में उन्माद और नफरत फैलती है. यह नहीं भूलना चाहिए कि गोस्वामी जैसे पत्रकारों की उन्मादी भाषा के कारण ही भीड़ ने अदालत में कन्हैया कुमार को बेरहमी से पीटा था. जब पत्रकार अपने जिम्मेदारियों को भूल कर उन्माद और घृणा फालाने लगे तो इससे पत्रकारिता कलंकित होती है. अनर्ब गोस्वामी ने अनेक बार पत्रकारिता को कलंकित किया है.
ऐसे पत्रकारों को तुरंत निलंबित कर देना चाहिए।
ऐसे लोगों के साथ क्या करना चाहिए