बिहार में सड़क और पुल निर्माण में भ्रष्टाचार के रहस्यों से पर्दा उठाती इस रिपोर्ट में पढ़िये कि कैसे रिश्वत नहीं देने के कारण पूर्वी चम्पारण में पुल का काम एक साल से रोक कर रखा गया है
मोतिहारी से इन्तेजारुल हक की रिपोर्ट
पुल निर्माण का कार्य हो या कोई महत्वपूर्ण सड़क का।सबों की स्थिति एक जैसी है और रिष्वत के लिए अधिकारी किस हद तक जासकते हैं,इसका भी प्रमाण सामने आया है।हम शुरू करते हैं पूर्वी चम्पारण जिले के माओवाद प्रभावित क्षेत्र पकडि़दयाल से।कार्यपालक अभियंता ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमण्डल पकड़ीदयाल ने पूर्वी चम्पारण जिले को शिवहर से जोड़ने वाली नारहा पानापुर बागमती नाला पर करोड़ो की लागत से निर्माण का कार्य 7 अप्रैल 2013 को स्टार कंस्ट्रक्शन कम्पनी को निविदा देकर शुरू कराया।निर्माण कार्य काफी तेजी से होने लगा और करीब पचहतर प्रतिशत से अधिक काम हो गया।किन्तु पुल के पाइल का लोड टेस्ट व लाइनर का पैमेन्ट इस लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया कि संवेदक ने मुंह-मांगी रिश्वत नहीं दी।उसके बाद यानी 27 मार्च से पुल निर्माण का कार्य बंद हो गया जो आज तक बंद है।
तीन महीने तक बिल रोका
12 मार्च 2014 को संवेदक ने विभाग को अपना बिल समर्पित किया जिसे तीन माह तक रोक कर उसे रखा गया और फिर रिश्वत नहीं मिलने के कारण संवेदक को 9 जून 2014 को उसे लौटा दिया गया।आखिर किसी बिल को तीन माह तक रोक रखना व फिर उसे लौटा देना यह साबित करता है कि दाल में कुछ नहीं बहुत काला है। जानकार बताते हैं कि स्थानीय विधायक से लेकर बिहार सरकार के मंत्री अवधेष कुशवाहा तक इस बाबत अपनी ओर से सकारात्मक पहल कर चुके हैं और विभागीय अधकारियों की मनमानी पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं किन्तु कोई असर नही हुआ।
अभियन्ता राम कुमार मिश्रा के लम्बे हाथ
दूसरी तरफ यहां यह भी चर्चा है कि विभाग के कार्यपालक अभियन्ता राम कुमार मिश्रा,कनीय अभियन्ता अनिल ठाकुर, व सहायक अभियन्ता सुधीर कुमार की पहुंच काफी दूर तक है और वे आपार सम्पति अर्जित कर चुके हैं इसलिए वे जो चाहते हैं वही करते है और उनके सामने सरकारी नियम बौना साबित होता है। शायद यही कारण है कि पकडि़दयाल में आसानी से किसी की मुलाकात उनसे नहीं हो पाती है और उनका अधिकांश समय दिल्ली व रांची में गुजरता है जिसकी जांच होनी चाहिए।
यहां यह भी बताते चलें कि जिस जगह पर यह पुल बन रहा है वह माओवाद प्रभावित क्षेत्र है और यहां एक पुलिस पदाधिकारी की हत्या हो चुकी है।इधर संवेदक परवेज खां से पुछे जाने पर बताया कि यह सब रिश्वत नहीं देने के कारण हुआ है। नौकरशाही डॉट इन को कई ऐसे कागजात उपलब्ध कराये गये हैं जिन्हें दखने के बाद कई चैंकाने वाले मामले सामने आते हैं।
ऐसे मैनेज होती हैं निविदा
इसी तरह का हालात राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमण्डल,कार्यपालक अभियंता मोतिहारी के कार्यालय का है।विभागी अधिकारियों द्वारा किस तरह से सड़क निर्माण के लिए आमंत्रित निविदा को मैनेज किया जाता है और उसे दिल्ली,कोलकाता,मुम्बई,चेन्नई व हैदराबाद के दैनिक अखबारों में प्रकाशित कराकर किसी खास को एक तरफा लाभ पहुंचाया जाता है, इसका प्रमाण वित्तीय वर्ष 2009-10 व 2010-11 में देखा जा सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार,विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2009-10 व 2010-11 में कुल 12 महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए निविदा निकाली गयी थी।कार्य स्थल पूर्वी चम्पारण था और निविदा पूर्वी चम्पारण के अखबारों में प्रकाषित नहीं करा कर देश के महानगरों के संस्करणों में प्रकाशित कराया गया ताकि इस कार्य में जुटी अन्य ऐजेसियों को इसकी जानकारी नहीं हो सके।
आरटीआई से मिली जानकारी
काम मोतिहारी में निविदा का विज्ञापन हैदराब में
आरटीआई के तहत पत्रकार डा0 राजेष अस्थाना को विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी सह सहायक अभियन्ता द्वारा जो सूचना उपलब्ध करायी गयी उसके मोताबिक,रा0 उ0 पथ संख्या-28 बी के किलोमिटर 83 मलपुरना में नया एचएलआरसीसी पुल के निमार्ण कार्य के लिए दैनिक जागरण पटना,मुजफ्फर पुर,हिन्दुस्तान टाइम्स पटना,पायोनियर दिल्ली,व बीजनेस स्टैंडर्ड में कोलकाता,रा0उ0 पथ संख्या-28ए के किलोमिटर 17(पी)से 22 में बाढ़ से क्षतिग्रस्त पथ का निर्माण कार्य के लिए हिन्दुस्तान मुजफ्फरपुर,दैनिक जागरण पटना,मुजफ्फर पुर,पायोनियर दिल्ली,व सनर्माग कोलकता के संस्करण में निविदा प्रकाशित करायी गयी है।
इसी प्रकार,रा0उ0 पथ संख्या-28बी के किलोमिटर 84 से 112 में आई0आर0क्यू0पी0 कार्य के लिए हिन्दुस्तान पटना,मुजफ्फरपुर,विजनेस स्टेण्डर्ड कोलकाता,मुम्बई,दिल्ली व हैदराबाद के संस्करण में रा0उ0पथ संख्या-104 के किलोमिटर 22‘027पर एचएलआरसीसी पुल फूट पाथ निर्माण कार्य की निविदा दैनिक जागरण पटना संस्करण में,रा0उ0 पथ संख्या-28ए किलोमिटर 47से 49 एवं 53 से 59पर पीआर कार्य की निविदा हिन्दुस्तान पटना,मुजफ्फरपुर,दैनिक जागरण पटना,मुजफ्फरपुर,पायोनियर दिल्ली,सन्मार्ग कोलकाता के संस्करण में, रा0 उ0 पथ संख्या-104 किलोमिटर 22’27 तक पर बचे हुए सुधार एवं मजबुतीकरण कार्य की निविदा हिन्दुस्तान मुजफ्फरपुर,दैनिक जागरण पटना,भागलपुर,मुजफ्फरपुर व इंडियन एक्सप्रेस दिल्ली संस्करण,रा0उ0 पथ संख्या-28 किलोमिटर 31 से 40 में चैड़ीकरण एवं मजबुतीकरण कार्य की निविदा हिन्दुस्तान-दैनिक जागरण पटना,मुजफ्फरपुर,इंडियन एक्सप्रसेस दिल्ली,इकानोमिक टाइम्स कोलकाता,पिनदार पटना संस्कारण में प्रकाशित करायी गयी है। इसी प्रकार रा0उ0 पथ संख्या-28 दबी के किमी 41 से 64 सावधि नवीकरण कार्य की निविदा हिन्दुस्तान-दैनिक जागरण पटना,मुजफ्फरपुर,प्रातःकमल मुजफ्फरपुर,इंडियन एक्सप्रेस दिल्ली,इकोनामिक टाईम्स कोलकाता,कौमी तंजीम पटना संस्करण में व रा0उ0 पथ संख्या-28 बी पर किलोमीटर 0 से 25 मेंचैड़ीकरण एवं मजबुतीकरण की निविदा दिल्ली,कोलकाता चेन्नई व अन्य महानगरों के संस्करणों में प्रकाशित की गयी है।
खेल पर खेल
आरटीआई के तहत डा0 अस्थाना को महानगरों के अखबारों में प्रकाशित निविदा की छाया प्रति भी उपलब्ध करायी गयी है जिसे पढ़ने व देखने के बाद स्पष्ट होता है कि यहां भी पर्दे के पिछे का खेल कुछ अलग है। जब कार्य स्थल पूर्वी चम्पारण जिले का है तो पूर्वी चम्पारण के संस्करणों में निविदा प्रकाषित होनी चाहिए ताकि सड़क निर्माण कार्य में जुटी अन्य ऐजेंसियों को इसकी जानकारी मिल सके और वे भी इस निविदा में हिस्सा ले सकें।ऐसा होने से एक तरफ जहां सरकार को फायदा होता वहीं सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी बरकार रहती और सड़क के बनने के साथ-साथ टूटने की शिकायत भी नही मिलती। अगर पूर्वी चम्पारण के संस्करणों में किसी कारण निविदा प्रकाषित नही होती है तो कम से कम बिहार के किसी भी जिला के संस्करणों में प्रकाषित होने से काम चल सकता था। तो फिर हैदराबाद,दिल्ली,चेन्नई व कोलकाता के संस्करणों में निविदा प्रकाशित कराने का आखिर क्या औचित्य है?कहीं न कहीं दाल में जरूर काला है जिसकी गहनता से जांच होनी चाहिए।