एक लेखपाल ने खुदकुशी कर ली लेकिन अपनी जान देने के साथ ही वो ईमानदार लेखपाल अपने अफसरों से कहकर गया है, रिश्वत नहीं दूंगा, मेरी लाश ले लो।
यह लेखपाल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र का रहने वाला बताया जाता है.
आईबीएन-7 की खबर के मुताबिक लेखपाल ने ट्रेन के आगे आकर खुकुशी कर ली लेकिन उसके पहले एक नोट लिख दिया जिसमें उन कारणों का जिक्र है जिसमें बताया गया है कि कैसे उन्होंन लिखा है कि मैं रिश्वत नहीं देना चाहता…मैं अपने शरीर के दो टुकड़े कर रहा हूं…मेरी लाश के टुकड़े अफसरों को दे देना…। बहुत हिम्मत चाहिए ऐसा लिखने के लिए और ऐसा कर गुजरने के लिए। ये सुसाइड नोट लिखा था सोनभद्र के एक ईमानदार लेखपाल अशोक चौबे ने। लेखपाल अशोक ने दो दिन पहले ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी थी। अशोक का लिखा सुसाइड नोट चीख-चीख कर कह रहा है कि भ्रष्टाचार का विरोध करना उसे कितना भारी पड़ा।
अशोक की आखिरी चिट्ठी
मैं अशोक कुमार चौबे हूं। तहसीलदार के आदेश के बाद सोनभद्र के सुंदरी जनपद से मेरा तबादला किया जा चुका है। इसलिए मैं अपने शरीर को दो टुकड़े कर रहा हूं। मैं अपने ऊपर का भाग SDM दुद्दी और नीचे का भाग तहसीलदार दुद्दी को अर्पित करता हूं। इस इलाके में 50-50 हजार रुपये देने पर भी मेरी दुर्गति की गई है।
लेखपाल अशोक की चिट्ठी का एक एक शब्द इस बात को बता रहा है कि नौकरशाह रिश्वत के लिए किस हद तक गिर सकते हैं. आईबीएन- 7 के अनुसार अशोक चौबे इसी जिले के सुंदरी इलाके में तैनात थे। ये वो इलाका है जहां करीब 7 लाख परिवारों को जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा दिया जा रहा है।
अशोक चौबे के घरवालों का आरोप है कि इलाके के एसडीएम और तहसीलदार मुआवजे की रकम में अपना हिस्सा मांग रहे थे। उन्होंने लेखपाल इस बात का दबाव बनाया कि मुआवजा पाने वालों से 11-11 हजार रुपये घूस लें और फिर इसे ऊपर तक पहुंचाएं। लेखपाल अशोक ने दबाव में कुछ रकम दे भी दी थी लेकिन अब वो घूस लेने-देने के लिए तैयार नहीं थे।
लेखपाल अशोक के घरवालों के मुताबिक रिश्वत लेने-देने से इनकार करने पर उन्हें तबादले की धमकी दी गई और वो फिर भी नहीं झुके तो उनका ट्रांसफर कर दिया गया। ईमानदारों को तंग करने के लिए हमारे सिस्टम का ये तरीका बहुत पुराना है। इसी सिस्टम ने फिर रटा-रटाया जवाब दिया है कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं जो दोषी पाया गया उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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