इनसे मिलिए यह हैं सुबोध कुमार, आप इनको सरकारी या गैर सरकारी वेबसाइट का पता दीजिए इनकी उंगलियां कम्प्युटर पर कुछ अक्षर टाइप करेंगी और वेबसाइट हैक हो जायेगा.
शक्तिमान राही
मेरी आंखों के सामने सुबोध पटना डेयरी और एक निजी होटल की वेबसाइट के एडमिन पैनल में प्रवेस कर गये. एडमिन पैनल में प्रवेश करने का मतलब हुआ कि आप वेबसाइट से किसी मनी ट्रांजेक्शन, लेन देन या होटल का कमरा, फिर हावाई टिकट तक बुक कर सकते हैं. लेकिन सोबोध ने इन वेबसाइटों के एडमिन पैनल में इसलिए प्रवेश नहीं किया कि उन्हें कोई गोरख धंधा करना था. वह तो सिर्फ यह बताना चाह रहे थे कि कैसे हैकर्स संवेदनशील सरकारी या गैरसरकारी वेबसाइट को अपनी उंगलियों के इशरे से हैक करते हैं और उनकी गोपनीय सुचनाओं या ट्रांजेक्शन को उड़ा लेते हैं.
19 वर्षीय सुबोध बिहार के नालांदा के रहने वाले हैं. चंड़ीगढ इंजिनियरिंग कॉलेज के सेकंड इयर के छात्र हैं. साफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग और नेटवर्किंग में सुबोध की दक्षता का आलम यह है कि इनका लोहा इनके कालेज का प्रबंधन भी स्वीकार करता है. इनकी काबलियत को आईआईटी मुम्बई ने भी स्वीकार किया है और उन्हें हैकट्रैक कम्पिटिशन में सेकंड प्राइज भी दिया है. इसके अलावा सुबोध को चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज( सीजीसी) ने हैक-डी बाक्स प्रतियोगिता में सेकंड प्राइज से नवाजा. इतना ही नहीं सुबोध को EH1 इंफोटेक ने बेस्ट सायबर एक्सपर्ट की उपाधि दी है.
19 साल की अल्प आयु में सुबोध ने इंटरनेट हैकिंग की दुनिया की बारीकियों को जिस तरह से समझ लिया है, वह नेटवर्किंग के क्षेत्र में बड़ा योगदान देने की योजना पर काम कर रहे हैं. सुबोध कहते हैं, इंटरनेट की संवेदनशीलता एक गंभीर मामला है. वह कहते हैं कई बार भारत सरकार की वेबसाइट को भी चीन में बैठे लोगों ने हैक की है. इसी तरह चीन के हैकरों ने कई अमेरिकी वेबसाइट को हैक कर दिया था. ऐसे में मैं इन बारीकियों पर काम करना चाहता हूं कि हमें ऐसे साफ्टवेयर डेवलप करें कि किसी वेबसाइट की सुरक्षा की गारंटी हो सके.
जाहिर है सुबोध हैकिंग के दुरोपयोग को रोकना चाहते हैं. इसके लिए वह अपनी योजना पर काम भी शुरू कर चुके हैं. सुबोध ने एक नेटवर्किंग आर्ग्नाइजेशन सॉडो( सर्च ऐंड डिफेंड ऑर्ग्नाइजेशन) बनाया है. इसके तहत वह एंटी हैकिंग और वेबसाइट सेक्युरिटी पर काम कर रहे हैं.
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