इस तस्वीर का इस्तेमाल करके, गौरी लंकेश की हत्या को ‘पवित्र कर्तव्य’ साबित करने में कई लोग जुटे हैं, ये तस्वीर गौरी ने ही पोस्ट की थी. दलील ये है कि कन्हैया और उमर ख़ालिद के साथ खाना खाने वाले व्यक्ति की हत्या में कोई बुराई नहीं है.
राजेश प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
कन्हैया पर रह-रहकर हमले हो रहे हैं, अगर कल उसे कुछ होता है तो यही लोग पूछेंगे कि एक देशद्रोही की हत्या में क्या बुराई है? भारत विरोधी नारों वाले कई टेप फ़र्ज़ी साबित हो गए, कई संदिग्ध हैं, लेकिन व्हाट्सऐप अदालत में सज़ा सुनाई जा चुकी है.
देश में उग्र हिंदुत्व की राजनीति से असहमत हर व्यक्ति की हत्या को जायज और स्वीकार्य बनाने का अभियान चल रहा है. वामपंथी, लिबरल और मुसलमानों को मारना हत्या नहीं, वध है, जैसे गांधी की हत्या नहीं हुई थी, उनका वध किया गया था क्योंकि ऐसा करना हिंदू हित में आवश्यक था.
गौरी लंकेश की हत्या किसने की, ये जाँच का विषय है, लेकिन जिस तरह का माहौल उनकी हत्या के बाद दिखा है, वह आगे अनगिनत हत्याओं का कारण बन सकता है. इसकी चिंता किसी को है?
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