उन्नत शिक्षण व्यवस्था और संस्थान का इतिहास रखने वाले बिहार के शिक्षण संस्थानों की हालत बेहद खराब है. इसका प्रमाण है कि केंद्रीय मानव संसाधन विभाग द्वारा जारी उच्च शिक्षण संस्थानों के स्वच्छता रैंकिंग बिहार का कोई भी संस्थान नहीं है. आज जब उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वच्छता रैंकिंग-2017 के आधार पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास प्रकाश जावड़ेकर द्वारा विश्वविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों जैसी विभिन्न श्रेणियों के शीर्ष 25 चयनित संस्थानों पुरस्कृत किया गया, उसमें बिहार के एक भी शिक्षण संस्थान का नाम नहीं है.
नौकरशाही डेस्क
बता दें कि स्वच्छता और साफ-सफाई के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग की प्रक्रिया संपन्न की गई थी. स्वच्छ कैंपस के लिए छात्र/शौचालय अनुपात, रसोईघर में साफ-सफाई, पानी की उपलब्धता, आधुनिक शौचालय और रसोईघर के उपकरण, परिसर में हरित क्षेत्र, छात्रावासों और शैक्षिक भवनों से कचरा उठाने की व्यवस्था, कूड़ा निकासी की तकनीक, जलापूर्ति प्रणाली जैसे मानदंड तय किए गए थे.
इसके अलावा अगर संस्थानों ने स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये अपने नजदीकी इलाके या गांव को गोद लेकर वहां स्वच्छता कार्यक्रम किए हैं तो उसे भी कुछ वेटेज दिया गया था. ऑनलाइन आमंत्रण पर लगभग 3500 उच्च शिक्षण संस्थानों ने प्रारूप के अनुरूप अपने अपने विवरण भेजे थे. मानदंड़ों के आधार पर 174 शीर्ष संस्थानों का चयन किया गया और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अधिकारियों ने सभी 174 संस्थानों के परिसरों का निरीक्षण किया था. इसमें विभिन्न श्रेणियों के शीर्ष 25 संस्थानों का चयन किया गया था.
संसथानों को सम्मानित करते हुए मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वच्छता रैंकिंग-2017 पुरस्कार पाने वालों को बधाई दी और कहा कि स्वच्छ भारत अभियान सरकार का सबसे महत्वपूर्ण स्वच्छता अभियान है. इस अभियान के अंतर्गत 2 अक्टूबर, 2014 से देश में चार करोड़ 80 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया और दो लाख से अधिक गांव अब खुले में शौच से मुक्त हैं.
उन्होंने कहा कि छात्र स्वच्छता के दूत हैं. लोगों तथा संस्थानों के सहयोग से वे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत के विचार का नेतृत्व करेंगे. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को स्मार्ट कैंपस बनाने के लिए हमें स्वच्छता के साथ ही कचरे के प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए. स्मार्ट कैंपस बनाने के लिए पानी-बिजली की बचत करनी, स्वच्छता को बढ़ावा देना और कचरे का प्रबंधन किया जाना चाहिए.
इस अवसर पर उच्च शिक्षा विभाग में सचिव श्री के. के. शर्मा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार वी.एल.वी.एस.एस. सुब्बा राव, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष अनिल डी. सहस्रबुद्धे, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष डॉ. वी. एस. चौहान, एआईसीटीई के निदेशक डॉ. मनप्रीत सिंह मन्ना उपस्थित थे.