मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी,  भारतीय जनता पार्टी के सांसद उदित राज के अलावा देश के जाने-माने शिक्षाविदों ने उच्च शिक्षा के निजीकरण का जोरदार विरोध किया है और कहा है कि सरकार के इस कदम से दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्र उच्च शिक्षा से अपने आप वंचित हो जायेंगे।


श्री येचुरी और श्री उदित राज के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की कविता कृष्णन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुखदेव थोराट, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की अध्यक्ष सोंझारिया मिंज, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष राजीव रे, पूर्व अध्यक्ष श्रीराम ओबेराय और पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण ने आज यहां उच्च शिक्षा में प्रतिनिधित्व के सवाल पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मलेन में यह विचार व्यक्त किये।

माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार देश में उच्च शिक्षा को बर्बाद करने में लगी है और वह जे एन यू हैदराबाद विश्वविद्यालय समेत अनेक परिसरों में उच्च शिक्षा को ध्वस्त कर रही है तथा दलितों-पिछड़ों को शिक्षा से वंचित कर रही है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा का निजीकरण इसलिए किया जा रहा है कि आरक्षण व्यवस्था को लागू न किया जाये, इतना ही नहीं सरकारी विश्वविद्यालयों में स्ववित्त पोषित कोर्स शुरू किये जा रहे हैं ताकि समाज के वंचित समुदाय के छात्र शिक्षा से वंचित हो जाएँ।

श्री उदित राज ने कहा कि न्यायपालिका दलितों और आदिवासियों से जुड़े कानून को खुद कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने हमेशा कामगारों के विरोध में फैसले सुनाये हैं। उन्होंने सवाल किया कि अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति किस प्रतिभा के आधार पर होती है। श्रीमती कृष्णन ने कहा कि लाल किले की तरह देश में उच्च शिक्षा को भी सेल पर रख दिया गया है और समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित किया जा रहा है।

By Editor


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