‘उत्पीड़क और उत्पीड़ित दो किस्म के लोग हर तरह के समाज में रहे हैं। जगजीवन राम खेत मजदूर संगठन के रूप में उत्पीड़ित समाज के पक्ष की आवाज मुखर कर रहे थे।’ ये बातें जगजीव राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कही। श्री शाही संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘द एग्रीकल्चर लेबर मूवमेंट इन बिहार’ पुस्तक के विमोचन समारोह में बोल रहे थे।
पुस्तक का विमोचन पीके शाही, वित मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, शैबाल गुप्ता, व्यासजी, अशोक अंशुमन, बिहार में पलायन पर काम कर रही फ्रांस की निवासी कैमिली बुआ आदि संयुक्त रूप से किया। स्वागत भाषण संस्थान के निदेशक श्रीकांत और धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के रजिस्ट्रार सरोज कुमार द्विवेदी ने किया। अशोक अंशुमन ने खेत मजदूर आंदोलन के ऐतिहासिक स्रोतों एवं इस संदर्भ में इतिहास लेखन पर विस्तार से रौशनी डाली। शोधार्थी कैमिली ने कहा कि यह पुस्तक महत्वपूर्ण है। बिहार के इतिहास को समझने के लिए आवश्यक है कि वर्गों में विभक्त इसकी स्थितियों की गहराई से तफतीश की जाये।
अर्थशास्त्री शैबाल गुप्ता ने कहा कि खेत मजदूर आंदोलन अलगाव में नहीं रह सकता। व्यासजी ने मजदूर किसान संघ की मांगों की विस्तार से चर्चा की। बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा भारतीय समाज आर्थिक और सामाजिक-दोनों असमानताओं का शिकार रहा है। इस मौके पर ईश्वरी प्रसाद, आलोक धन्वा, महेंद्र सुमन, प्रभात सरसीज, शेखर, अभय, चंद्रभूषण राय संतोष यादव आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मनोरमा सिंह ने किया।