बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को जमीन पर बिठा कर उनकी मां और बहनों को गालिया दी गयीं थीं तब वे बेबस इन गालियों को सुन रहे थे. आखिऱ क्यों दी गयीं थीं ये गालियां?
नौकरशाही डेस्क
उदय नारायण चौधरी ने जब खुद के संग घटित इस घटना को सुनाया तो लोग टकटकी लगा कर एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे लेकिन चौधरी अपनी रौ में सारी घटना सुनाते चले गयेे. वह अपने बीते दिनों की घटना की याद कर रहे थे . हालांकि उन्होंने यह नहीं कहा कि जब यह घटना हुई तो उस समय उनकी उम्र क्या थी.उन्होंने कहा मुझे उच्च जाति के दबंगों ने घेर रखा था और मुझे जमीन पर बिठाया गया था.
श्रीचौधरी इस घटना को शुक्रवार की शाम पटना के जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में आयोजित ‘उत्तर भारत में दलित चेतना का निर्माण’विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही.
उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़े पर सामंती जुल्म हर दौर में हुए हैं अब भी होते हैं लेकिन कुछ दशक पहले तक इस तरह के जुल्म के खिलाफ जोरदार प्रतिवाद भी होता था उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी के शहरी बच्चों को ऐसी घटनाओं का सामना नहीं करना पड़ता लेकिन अब भी गांवों में हालात बहुत नहीं बदले हैं. उन्होंने नयी पीढ़ी से यह शिकायत भी कि अब के युवाओं में प्रतिवाद का माद्दा कम होता जा रहा है जो चंति की बात है.
उनहोंने कहा कि दलित जनप्रतिनिधियों का चुनाव केवल दलित ही करें। दलितों की उपजाति के बीच शादी-विवाह शुरू हो। इससे दलित चेतना को नया आयाम मिलेगा। मौजूदा दौर में दलित चेतना में दक्षिण पंथी झुकाव साफ-साफ दिख रहा है, जो एक खतरनाक लक्षण है।
इस अवसर जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक श्रीकांत और बद्री नारायण समेत अनेक लोग मौजूद ते.
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