बिहार सरकार के उद्योग विभाग को क्या हो गया है? क्या उसके काम करने वाले हाथों में पंख लग गये हैं? साल भर कछुए की चाल चलने वाला विभाग अचानक हिरन की गति से क्यों दौड़ने लगा है?
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
यूं तो सरकार अपनी रफ्तार से काम करती है. लेकिन आम तौर पर देखा जाता है कि वित्त वर्ष की समाप्ति पर सरकार में काम हो, न हो पर पैसे की निकासी का काम बहुत तेज हो जाता है. आइए उद्योग विभाग की तेज रफ्तारी पर निगाह डालें.
बीते महीने यानी अक्टूबर में उद्योग विभाग ने विभिन्न मदों में खर्च करने के लिए 16 बार पैसे जारी किये. यह पूरे साल के किसी एक महीने में पैसे जारी किये जाने की संख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा तो है ही, पैसे के लिहाज से भी यह सबसे बड़ी राशि है. मात्र इस एक महीना में विभाग ने लगभग 400 करोड़ रुपये से भी ज्यादा जारी किये हैं.
जबकि विभाग ने सितम्बर महीने में कुल 10 बार पैसे जारी किये. इस महीने में कुल लगभग 13 करोड़ रुपये विभिन्न मदों के खर्च के लिए जारी किये गये. गौरतलब है कि सितम्बर ऐसा महीना रहा जिसमें विभाग ने अक्टूबर के बाद सबसे ज्यादा रुपये जारी किये. हालांकि अक्टूबर के चार सौ करोड़ की तुलना में सितम्बर में महज13 करोड़ रुपये के खर्च की कोई खास हैसियत नहीं है.
यह सवाल जब नौकरशाही डॉट इन ने उद्योग मंत्री भीम सिंह के सामने रखा तो
उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. हां उन्होंने कहा
कि ‘इस बारे में आपको प्रिंसिपल सिक्रेटरी सी बात करनी चाहिए’.
अगर राज्य सरकार के बजट पर निगाह डालें तो पता चलता है कि सरकार का कोई ऐसा विभाग नहीं जो अपने बजटीय प्रोविजन की पूरी राशि एक वित्त वर्ष में खर्च पाता हो. उद्योग विभाग का भी रिकार्ड कुछ ऐसा ही है. लेकिन आंकड़ों का अवलकन बताता है कि जैसे- जैसे वित्त वर्ष समाप्ति को ओर बढ़ता है तमाम विभाग से पैसे जारी किये जाने की रफ्तार अचानक बढ़ जाती है. संभव है कि मौजूदा महीना यानी नवम्बर में पैसों के खर्च करने की रफ्तार और तेज हो और यह तेजी जनवरी-फरवरी तक और तेज हो जाये.
सवाल तो है, जवाब कौन देगा?
पर सीधा सवाल यह है कि वित्त वर्ष के पहली और दूसरी तिमाही में खर्च की रफ्तार इतनी कम क्यों रही?अचानक अक्टूबर में निकासी की प्रक्रिया इतनी तेज क्यों हो गयी? क्या वर्ष की समाप्ति आते-आते विभाग के हातों में पंख लग गये हैं?
यह सवाल जब नौकरशाही डॉट इन ने उद्योग मंत्री भीम सिंह के सामने रखा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. हां उन्होंने कहा कि ‘इस बारे में आपको प्रिंसिपल सिक्रेटरी सी बात करनी चाहिए’. जब उनसे पूछा गया कि विभाग के मंत्री आप हैं तो स्वाभाविक तौर पर आपको भी पता होना चाहिए. इस पर भीम सिंह ने साफ तौर पर कहा- ‘नो कमेंट’ .
विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नवीन वर्मा से बात की कोशिश नाकाम रही तो हमने अतिरिक्त सचिव रामानंद झा को फोन लगाया. उनके स्टेनो ने बताया कि वह बंग्लोर गये हैं बात नहीं हो सकती.