नीतीश कुमार ने कहा है कि ऐसा लगता है कि कुछ साजिशकर्ता चाह रहे थे कि बड़े पैमाने पर कत़्ल-ए-आम करवा दिया जाये. वह साम्प्रदायिक हमले के बाद मुजफ्फरपुर के अजीजपुर गांव से लौटे हैं
नीतीश ने कहा आज मुज़फ्फरपुर जिले के सरैया थानान्तर्गत अजीज़पुर गाँव में गया, दोनों पक्षों के प्रत्येक पीड़ित परिवारों से मिला। उनके ऊपर जो गुज़री उसकी जानकारी ली। उन्हें राहत पहुँचाने की सुनिश्चितता के लिए प्रशासन व राज्य सरकार से विशेष अनुरोध किया।
उन्होंने फेसबुक पेज पर लिखा कि घटना की जितनी भी निंदा की जाये वह कम है। ये घटना मानवता पर कलंक है। अकारण ही निर्दोष लोगों को मारा गया, जलाया गया, पीटा गया, घर में आग लगाई गई। लूट-पाट भी की गई…अकारण! लेकिन इसमें कुछ अच्छी चीज़ें भी दिखाई पड़ीं। जो कुछ शैल देवी ने किया; एक ग़रीब महिला ने पड़ोसियों को बचाने के लिए जो कुछ भी किया उसे सदैव याद किया जाएगा।
गाड़ियों में भरके आये लोग
नीतीश ने लिखा है कि एक बच्चे के लाश के टुकड़े मिलने की बात सामने आती है और उसके बाद जितनी तेज़ी और कम समय मे्ं जिस बड़ी संख्या में उपद्रवी इकट्ठा हुए, ये सब तो जाँच का विषय है, लेकिन मेरी नज़र में कहीं-न-कहीं से कुछ शक्तियाँ ज़रूर शामिल हैं जो इन सारे घटनाक्रम पर नज़र रख रहीं थीं। और मौक़े पर जब लाश का एक हिस्सा मिला तो वे इकट्ठा होकर मारने-काटने के स्वर निकालने लगे। ये सब बड़ी तेज़ी से हुआ… लोगों ने हमें बताया कि लोग गाड़ियों पर सवार होकर तेज़ी से जुटे थे। इसका मतलब कोई-ना-कोई साज़िश भी है और इसकी जाँच होगी और कोई दोषी बख़्शे नहीं जाएँगे। इस मामले की हर दृष्टिकोण से जाँच की जाएगी और जो भी साज़िशकर्त्ता हैं, जो क्षति पहुँचाने वाले लोग हैं, उन्हें बख़्शा नहीं जाएगा।
कत्लए आम की साजिश
ऐसा लगता है कि उनकी ये योजना थी कि बड़े पैमाने पर कत़्ल-ए-आम करवा दिया जाय और बिहार को सांप्रदायिकता की आग में धकेल दिया जाय। ये चीज़ें ऐसी हैं जिसपर हर दृष्टिकोण से जाँच होनी चाहिए।
पुलिस अधिकारियों, पार्टी के साथियों से जानकारी हमें पटना में मिल रही थी। ये सारे लोग शांति बहाल करने में प्रयासरत थे। तबीयत ख़राब होने के कारण मैं तत्काल नहीं आ पाया। लेकिन जो बात समझ में आ रही थी कि स्थानीय प्रशासन ने काफी तत्परता दिखाई उसका फल दिखाई पड़ा और सरकार ने भी काफी संवेदनशीलता का परिचय दिया और त्वरित कार्रवाई भी की।
दूसरी तरफ जब ये घटना घट रही थी तो डी एम और एस पी बिना समय गँवाए पहुँच गए और उन्होंने अपने बल-बूते सबकुछ को सँभालना शुरु कर दिया। वहीं पर स्थानीय पुलिस कैसे नहीं पहुँच पाई! इरादतन नहीं पहुँच पाये, भय से नहीं पहुँच पाये, या पहुँचना चाह रहे थे पर रास्ते में रोक दिये गए… इन बातों की तहकीक़ात की जा रही है।
पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा और क्षतिपूर्ति की जाएगी। मैं देख रहा हूँ कि लोगों की जानें भी गईं और जहाँ जाने नहीं गईं वहाँ बड़े पैमाने पर लूटपाट की गई है, जान-माल की बड़ी क्षति हुई है। उनके घर, नगद, बर्तन, राशन, जेवर, बकरी, अन्य जानवरों का भयंकर नुक़सान हुआ।
प्रशासन ने इसका विस्तृत रूप से सर्वेक्षण करवाया है और हमने हर किसी से पूछा भी है। प्रत्येक पीड़ित परिवार से मैं मिला और जानकारी ली। लोगों ने हर एक बर्बादी को लिखवाया है। इनकी भरपाई भी पूरी तरह से की जाएगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कुछ लोगों के लिए इलाज इत्यादि के विशेष इंतज़ाम भी किए गए हैं। यहाँ डॉक्टरों की टीम और पर्याप्त मात्रा में दवाओं का भी इंतज़ाम किया गया है। जिन लोगों का सबकुछ उजड़ गया है उनके भोजन आदि का भी समुचित प्रबंध किया गया है।
हमने प्रशासन से आग्रह किया है कि इनके घरों को पुनः बनवाया जाये और आर्थिक मदद भी की जाय। अतिरिक्त सहायता के तौर पर उनके घर का पुनर्निर्माण शीघ्रातिशीघ्र करवाने में उनकी मदद की जाय।
मिले सजा
नीतीश ने लिखा कि जो ज़ालिमाना हरक़त में है, वैसे लोगों को ढूँढ़ निकाला जाना चाहिए और सख़्त से सख़्त सज़ा दिलायी जानी चाहिए।
हम सबसे शांति और सद्भाव की अपील करेंगे। लोगों को मिलजुल कर रहना है और ये जानने को मिला कि जो लोग घर छोड़ भागे थे, वे आ गये हैं। लोगों, प्रशासन व कई संस्थाओं द्वारा राहत-वितरण का कार्य किया जा रहा है।
सभी लोगों के सहयोग से शांति बहाल होगी। मैं इतना ज़रूर कहूँगा कि एक भी दोषी नहीं छूटेगा। और जितने लोगों ने सद्भाव बनाये रखने के लिए काम किया उनकी चारों तरफ प्रशंसा की जानी चाहिए।
हम लोगों से लगातार आग्रह करते रहे हैं कि सद्भाव का माहौल बिगाड़ने की कोशिशें होंगी। यह देखकर संतोष भी होता है कि घटना की सूचना मिलते ही साथीगण शांति बहाल करने और पीड़ितों की मदद करने पहुँचे। अगर उत्पाती आये तो लोगों की सहायता को भी लोग आये। यह सजगता का परिचायक है।
उत्पातियों को ढूँढ़ निकाला जायेगा और किसी को भी बख़्शा नहीं जाएगा। मैं यहाँ के डी एम और एस एस पी को बधाई दूँगा कि वे आये और स्वयं उन्होंने शांति के प्रयास करते हुए उसे क़ायम रखा। हमारी शुरु से ही नीति रही है कि जवाबदेही डीएम एवं एसपी की होती है। तो वे मौक़े पर पहुँचे और उसे सँभाला भी और हर पीड़ित के मुँह से हमने उनके बारे में प्रशंसा सुनी है।
देखने से लगता है कि उनके इरादे और भी गंभीर थे, लेकिन प्रशासन व स्थानीय लोगों के प्रयासों से वे एक हद से अधिक क़ामयाब नहीं हो सके। अब हमें साक्ष्य जुटाने होंगे, और इसे चुनौती की तरह लेना होगा ताकि ऐसी घटना कहीं और न हो सके।