इंडियन एक्सप्रेस में छपे नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदा बेन का वह इंटर्व्यू आप भी पढ़ें जिनके बारे में मोदी कभी जुबान नहीं खोलते पर जशोदा ने कैसे उनके साथ तीन साल गुजारे तब वह महज 17 की थीं, जब उनकी मोदी से शादी हुई थी.
मोदी की पत्नी जशोदा बेन इंडियन एक्सप्रेस के लिए लक्ष्मी अजय से बात करने को तैयार हो गयीं पर फोटो खिचवाने से मना कर दिया. पढें इस इंटर्व्यू का मुख्य अंश
सवाल : आपकी शादी को कितने साल गुजर गए और उस रिश्ते की क्याब स्थिति है?
जशोदाबेन : जिस वक्त शादी हुई, मेरी उम्र 17 बरस थी… मैं जब उनके घर गयी, तो पढ़ाई छोड़ चुकी थी। लेकिन मुझे याद है कि वो कहा करते थे कि मुझे आगे भी पढ़ना चाहिए। वह मुझसे ज्यादातर वक्ति पढ़ाई पूरी करने पर बात करते थे। शुरुआत में वह मुझसे बात करने में दिलचस्पी दिखाते थे और रसोई के कामकाज में भी दखल देते थे।
सवाल : क्या आपको इस रिश्ते का बोझ महसूस होता है, खास तौर से तब जब मीडिया आपके रिश्ते के बारे में सवाल करता है? क्या आपको लो-प्रोफाइल रहने के लिए हिदायत दी गयी है?
जशोदाबेन : हम कभी एक-दूसरे के संपर्क में नहीं रहे और हम जब अलग हुए थे, तब भी सब कुछ ठीक था, क्योंकि हमारे बीच कभी लड़ाई नहीं हुई। मैं वो बातें नहीं बनाऊंगी, जो सच नहीं हैं। तीन साल में हम शायद तीन महीने ही साथ थे। अलग होने से लेकर आज तक, हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
सवाल : क्या आपको नरेंद्र मोदी के बारे में खबर रहती है?
जशोदाबेन : जी हां, मुझे जब भी कुछ मिलता है, मैं जरूर पढ़ती हूं। मैं अखबारों में छपने वाले सभी लेख पढ़ती हूं और टेलीविजन पर खबरें भी देखती हूं। मुझे उनके बारे में पढ़ना अच्छा लगता है।
सवाल : अगर वह देश का अगला प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली जाते हैं और आपको बुलाते हैं, तो क्या आप उनके पास जाएंगी? क्या आप उनसे मुलाकात की कोशिश करेंगी?
जशोदाबेन : मैं उनसे कभी मिलने नहीं गयी और हम कभी संपर्क में नहीं रहे। मेरा ऐसा मानना है कि वह मुझे कभी नहीं बुलाएंगे। मैं सिर्फ इतना कह सकती हूं कि मैं उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती। मैं सिर्फ प्रार्थना करती हूं कि वह आगे बढ़ें। मैं जानती हूं कि वह एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे!
सवाल : क्या उन्होंने कभी आपसे कहा कि वह आपको छोड़ रहे हैं या शादी का रिश्ता खत्मन कर रहे हैं?
जशोदाबेन : उन्होंने एक बार कहा था, “मुझे देश भर में घूमना है और जहां मेरा मन करेगा, मैं वहां चला जाऊंगा, तुम मेरे पीछे आकर क्या करोगी?” जब मैं उनके परिवार के साथ रहने के लिए वाडनगर आयी, तो उन्होंने मुझसे कहा, “अभी तुम्हारी उम्र ज्यादा नहीं है, फिर तुम अपने ससुराल में रहने के लिए क्यों आ गयीं? तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।” अलग होने का फैसला मेरा था और हमारे बीच कभी कोई टकराव नहीं हुआ।
वो मुझसे आरएसएस या किसी और राजनीतिक विचारधारा की बात कभी नहीं करते थे। जब उन्होंने मुझे बताया कि वह मनमुताबिक देश भर में घूमना चाहते हैं, तो मैंने कहा कि मैं भी उनके साथ आना चाहूंगी। हालांकि, कई मौकों पर जब मैं अपने ससुराल गयी, तो वह वहां नहीं होते थे और उन्होंने वहां आना भी छोड़ दिया। वह काफी वक्तस आरएसएस शाखाओं में गुजारा करते थे। इसलिए मैंने एक वक्तो के बाद वहां जाना छोड़ दिया और अपने पिता के घर लौट गयी।
सवाल : क्या आप अब भी कानूनी रूप से मोदी की पत्नी हैं?
जशोदाबेन : जब कभी लोग उनका नाम लेते हैं, मेरा जिक्र कहीं न कहीं जरूर आता है, भले बैकग्राउंड में आये। क्या आप मुझसे इतनी दूर मुझे तलाश करते हुए, इंटरव्यू लेने यहां तक नहीं आये हैं? अगर मैं उनकी पत्नीं न होती, तो क्या आप मुझसे बात करने यहां आते?
सवाल : क्या आपको इस बात का बुरा नहीं लगता कि मोदी ने इतने साल में आपको पत्नीन का दर्जा नहीं दिया?
जशोदाबेन : नहीं, मुझे जरा बुरा नहीं लगता क्योंकि मैं जानती हूं कि वह ऐसा किस्मत और बुरे वक्त की वजह से कर रहे हैं। इन हालात में उन्हें इस तरह की बातें कहनी पड़ती हैं और झूठ भी बोलना पड़ता है। मैं अपने हालात को भी बुरा नहीं मानती, क्योंकि एक तरह से मेरी किस्मत में भी सुधार आया है।
सवाल : आपने दोबारा शादी क्यों नहीं की?
जशोदाबेन : इस अनुभव के बाद मुझे नहीं लगता कि मैं दोबारा शादी करना चाहती थी। मेरा दिल ही नहीं था।
सवाल : जब आप अपने माता-पिता के घर लौट आईं, तो खुद को कैसे संभाला?
जशोदाबेन : मेरे सास-ससुर अच्छा व्यवहार करते थे, लेकिन शादी के बारे में कभी बात नहीं करते थे। मेरे पिता ने मेरी पढ़ाई के लिए फीस चुकाई और उसे जारी रखने के लिए मेरे भाइयों की तरफ से भी आर्थिक मदद मिली। जब मैं दो साल की थी, तो अपनी मां को खो दिया था। और जब मैंने दोबारा पढ़ाई शुरू की, तो दो साल बाद पिता चल बसे। उस वक्ती मैं दसवीं क्लास में थी। हालांकि, जब मैंने पढ़ाई शुरू की, तो मुझे उसमें लुत्फ आने लगा और साल 1974 में मैंने एसएससी की। इसके बाद 1976 में टीचर ट्रेनिंग पूरी हुई और 1978 में मैं टीचर बन गयी।
सवाल : रिटायरमेंट के बाद दिन कैसे गुजारती हैं?
जशोदाबेन : मुझे पढ़ाना अच्छा लगता है और मैंने पहली से पांचवी क्लास में अध्यापन किया है। मैं सभी विषय पढ़ाया करती थी। इन दिनों मेरे दिन की शुरुआत सवेरे 4 बजे होती है और अम्बे मां की पूजा से शुरुआत करती हूं। मैं अपना सारा वक्त भक्ति में गुजारती हूं।
मैं ज्यादातर वक्तत अपने बड़े भाई अशोक मोदी के साथ गुजारती हूं, जो उंझा में रहते हैं, लेकिन साथ ही जब मन करता है तो अपने दूसरे भाई के यहां भी चली जाती हूं जो उंझा के करीब ब्राह्वण वाडा में रहते हैं। मुझे लगता है कि जिंदगी में मुझे भाई बहुत अच्छे मिले, जिन्होंने मेरा पूरा ख्याल रखा।
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