पैगम्बर मोहम्मद साहब के दौर में महिलाओं को समान अधिकार मिले हुए थे. महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं था. इस कारण उस समय अनेक महिलाओं ने अपना खास मुकाम स्थापित किया था. यहां हम पांच ऐसी ही महिलाओं के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने उस समय बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
बीबी खदीजा
– ये मोहम्मद साहब की पहली पत्नी थीं. मोहम्मद साहब के रसूल बनने के ऐलान के बाद वह पहली व्यक्ति थीं जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार किया था. बीबी खदीजा अरब की सबसे अमीर महिला व्यापारी थीं. जब मोहम्मद साहब ने इस्लाम का पैगाम दुनिया में फैलाना शुरू किया तो खदीजा ने अपने संसाधन उन्हें मुहैया किये.
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बीबी फातिमा-
आप पैगम्बर साहब की बेटी थीं. और इस्लाम के खलीफा हजरत अली की पत्नी थीं. बीबी फातिमा को जन्न में महिलाओं की नुमाइंदगी करने वाली बताया गया है. बीबी फातिमा ने महिला अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानूनी लड़ाइयां तक लड़ीं. हजरत मोहम्मद साहब ने फातिमा के बारे में कहा था कि फातिमा मेरे कलेजे का टुकड़ा है. जो कई भी उसे तकलीफ पहुंचायेगा वह मुझे तकलीफ पुंचायेगा. (सही मुस्लिम).
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बीबी जैनब-
हजरत अली की बेटी बीबी जैनब ने करबला की जंग में हजरत हुसैन की सबसे बड़ी प्रेरणास्रोत थीं. इस्लाम की हिफाजत के लिए लड़ी गयी इस जंग में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. वह इसके लिए सीरिया से इराक तक पैदल गयीं. बीबी जैनब के सम्मान में मुहर्रम की 11 वीं तारीख को यौम ए जैनब के रूप में मनाया जाता है.
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उम्मी वहाब-
एक ईसाई खातून जिन्होंने हजरत हुसैन की फौज की तरफ से जंग लड़ी. उन्होंने अपने पूरे परिवार के साथ जंग में हिस्सा लिया और करबला की जंग में शहीद हुईं.
बीबी फिजा-
एक गुलाम थीं जिन्हें हजरत मोहम्मद साहब ने आजाद कराया था. फिजा की वफादारी और हुस्न इखलाक से प्रभावित हो कर पैगम्बर साहब ने उन्हें अपनी बेटी फातिमा के सोहबत में रखा. हालांकि यजीद की फौज ने बीबी फिजा को गिरफ्तार करके सलाखों में डाल दिया और काफी यातनायें दीं. लेकिन तमाम लोभ और लाच के बावजूद बीबी फिजा ने इस्लाम का झंड़ा कभी झुकने नहीं दिया.