बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने कहा है कि आयोग अपने चार वर्षों के कार्यकाल की रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। समय-समय पर पहले भी रिपोर्ट सरकार को सौंपते रहे थे, लेकिन उन रिपोर्टो को सार्वजनिक नहीं किया जाता था। आयोग अब जो रिपोर्ट कार्ड सरकार को सौंपेगा, उसको सार्वजनिक भी किया जाएगा। उन्होंने https://naukarshahi.com/ के साथ बातचीत में कहा कि मध्य जुलाई तक आयोग अपनी वेबसाइट भी जारी करेगा और अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम की पुस्तिका भी आयोग प्रकाशित करेगा।
नौकरशाही ब्यूरो
श्री विकल ने दावा कि आयोग की सक्रियता के कारण अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए बने कानूनी प्रावधानों और देय सुविधाओं का लाभ उठाने की प्रवृत्ति भी है। सरकारी तंत्र भी इसके लिए गंभीर प्रयास कर रहा है और इस वर्ग के लोग भी इसके लिए आगे बढ़ रहे हैं। आयोग की पहल से विकास योजनाओं की जिला और राज्यस्तर पर नियमित समीक्षा हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने स्तर पर समीक्षा करते हैं और आवश्यक निर्देश अधिकारियों को देते हैं। उन्होंने कहा कि आयोग की टीम भी विभिन्न जिलों में दौरा करती रहती है। इस दौरान अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़े कानून और विकास योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा भी करती है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम से जुड़े मामलों का थाना स्तर पर निष्पादन में तेजी आयी है, लेकिन न्यायालयों में अभी काफी मामले लंबित हैं।
कारगर हस्तक्षेप
श्री विकल ने कहा कि बड्डी और कुरमुरी मामले में आयोग के हस्तक्षेप के कारण पीडि़तों को मुआवजा भी मिला और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी तेजी से हुई। स्पीडी ट्रायल भी हुआ। कुरमुरी मामले की पीडि़त महिलाओं को नौकरी भी मिल गयी। उन्होंने कहा कि हर जिले में एडीजे-1 अनुसूचित जाति /जनजाति मामलों की सुनवाई के लिए होते हैं। श्री विकल ने कहा कि उनकी कोशिश है कि आयोग का लाभ लोग उठाएं। इसके लिए टॉलफ्री नंबर भी जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि आयोग के समक्ष कई चुनौतियां हैं, लेकिन आयोग उन चुनौतियों से मुकाबले के लिए सक्षम है।