पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका पहुंच चुके हैं.उनकी यात्रा पर वाशिंगटन से एम जे वारसी उम्मीद जता रहे हैं कि भारत-अमेरिका रिश्ता उम्मीदों से कहीं आगे जा सकता हैmodi.america

1999 के बाद पहली बार अमरीका पहुंच रहे हैं। उनकी अमरीका यात्रा से दोनों देशों को बड़ी उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद जापान, नेपाल व भूटान की यात्रा कर चुके प्रधानमंत्री मोदी की अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात पर देश ही नहीं, पूरे विश्व की नजरें टिकी हैं। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में शुमार भारत और अमरीका के सम्बंध अब तक बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। एक तरफ जहाँ पहले ही प्रयास में मंगल मिशन के सफल होने से भारत काफी उत्साहित है वहीं दूसरी तरफ अमेरिका भी भारत से अपने सम्बंधों को और मज़बूत करने का भर-सक प्रयास करेगा। भारत निश्चित तौर पर अगले कुछ वर्षो में वैश्विक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में आ जायेगा ।

उम्मीदें

दुनिया में आज ताकत का मतलब आर्थिक सम्पन्नता एवं आत्मनिर्भरता है। ऎसे समय में नरेन्द्र मोदी की अमरीका यात्रा खास मायने रखती है। अमेरिका की यात्रा पर रवाना होने के पहले जारी बयान में प्रधानमंत्री ने अमेरिका को भारत के विकास में एक बडा सहयोगी देश बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच शिक्षा कौशल विकास शोध और तकनीक के क्षेत्र में संयुक्त भागीदारी की अपार संभावनाएं हैं और उनकी यात्रा दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरआत करेगी। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पहले ही भारत और अमरीका के बीच संबंधों का वर्णन करते हुए कहा था कि ये 21वीं सदी की निर्णायक साझेदारियों में से एक होगी ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने व्यस्त कार्यक्रमों में न्यू यार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अलावा मेडिसन स्क्वायर पर एक जन सभा को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा ऐतिहासिक होने की भारत के साथ-साथ अमरीका के लोग भी काफी उत्साहित हैं। न्यूयार्क में प्रधानमंत्री कारोबारी जगत, प्रबुद्ध समाज के प्रतिनिधियों और अमरीका के तीन राज्यों के गवर्नरों तथा प्रमुख शहरों के महापौरों के साथ विचार-विमर्श करेंगे। कुछ बड़ी अमरीकी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ सीधे बात करेंगे।

प्रधानमंत्री रविवार को मेडीसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। ओबामा 29 सितंबर की शाम निजी भोज में उनका स्वागत करेंगे तो उम्मीद से कहीं आगे तक रिश्तों की बात जाएगी। जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान न्यूयार्क और वाशिंगटन में अमरीकी व्यापार जगत के नेताओं से मोदी की मुलाकात के बाद निवेश बढ़ने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा आतंकियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन में भारत को साथ लेने का प्रयास कर सकते हैं.

आपसी सहयोग

मोदी की यात्रा के दौरान अमरीका से करार के लिए कुछ एमओयू पर हस्ताक्षर हो सकते हैं जिनमें खासकर भारतीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और अमरीकी नेशनल साइंस फाउंडेशन के बीच प्रस्तावित करार से अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में अनुसंधान को गति मिलेगी और प्रमुख संस्थानों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा. हवाई में करीब 1,300 करोड़ रूपए की लागत से स्थापित हो रहे “थर्टी मीटर टेलीस्कोप” प्रोजेक्ट में भारत 10 फीसदी हिस्सेदारी ले सकता है तथा “स्वयम” नामक संयुक्त उपक्रम के तहत और कामों के इलावा भारतीय छात्रों को ऑनलाइन विदेशी डिग्री मिल सकेगी.

हमें लगता है कि अपनी यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री चाहेंगे कि जापान और चीन से निवेश के समझौते के बाद मोदी अब अमरीका भी भारत में निवेश करे। संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में अमरीका भारत की मदद करे. चूंकि अमरीकी ‘सीनेट बिल 744’ जापान और यूरोपीय देशों की तुलना में भारतीय आईटी कंपनियों को समानता नहीं देता है और भारतीय आईटी कंपनियों की न्यूनतम शुल्क की मांग के विपरीत ये बिल उनके साथ दोहरा व्यवहार करता है. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी चाहेंगे कि भारतीय कंपनियों के साथ एक समान व्यवहार किया जाय।

हम समझते हैं कि मोदी की यात्रा के दौरान अमरीका को आर्थिक और उद्यमी संबंधों का पर्याप्त विस्तार करना चाहिए, रक्षा सहयोग पर जोर देना चाहिए और रक्षामंत्री द्वारा अगस्त में की गई भारत यात्रा पर घोषित किए गए कदमों पर काम करना चाहिए क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री उदारवाद-समर्थक एजेंडे साथ साथ दूरगामी सोच भी रखते हैं।

एमजे वारसी वाशिंगटन युनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. उनसे[email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता हैwarsi104 (1)

By Editor

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