तहरीक-ए-उर्दू का प्रयास अब मुकाम की ओर बढ़ने लगा है। भाषा को लोकप्रिय और लोकोपयोगी बनाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है और इसके लिए बड़े पैमाने में सृजनात्‍मक पहल की जा रही है। ये बातें तहरीक-ए-उर्दू के अध्‍यक्ष मो कमालुजफर ने दानापुर में आयोजित एक विचार गोष्‍ठी में कही। मो कमालुजफर सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वह उर्दू अखबार कौमी आवाज के बिहार संस्‍कार के संपादक हैं। उनकी ही प्रेरणा से विभिन्‍न चरणों में प्रयास किया जा रहा है।unnamed

नौकरशाही डेस्‍क

 

बैठक को संबोधित करते हुए मो कमालुजफर कहा कि उर्दू की उपेक्षा और उसकी अनदेखी का खामियाजा पूरे समाज को भुगतना पड़ सकता है। इस बात के लिए जागरूकता फैलाने की भी जरूरत है। तहरीक-ए-उर्दू का प्रयास है कि सरकारी कार्यालयों में व्‍यवहार की भाषा की मान्‍यता उर्दू को मिले। वह आम लोगों के कामकाज की भाषा बने। उन्‍होंने इस बात पर भी बल दिया कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी उर्दू को मजबूत भाषा के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। इसकी पुस्‍तकें और शब्‍दकोश को भी लोकप्रिय बनाने की जरूरत है।

 

पटना हाईकोर्ट में अधिवक्‍ता मो कशिफ युनूस ने कहा कि तहरीक-ए-उर्दू का प्रयास काफी प्रशंसनीय और अनुकरणीय है। उन्‍होंने कहा कि ऑन लाइन व सोशल मीडिया के क्षेत्र में उर्दू के हस्‍तक्षेप की पहल की जानी चाहिए। इस क्षेत्र में भी युवाओं को आगे आना चाहिए और मुद्दों पर हस्‍तक्षेप करना चाहिए। उन्‍होंने उर्दू की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता, संस्‍कृति और सम्‍मान की भाषा है। इस मौके पर आरिफ अंसारी, सैयद मख्‍दुम और कमल पांडेय ने भी उर्दू के विकास और इसकी उपयोगिता पर अपने विचार रखे।

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427