राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में ऊर्जा की बचत अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वंचित तबके के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करके उसके जीवन में बदलाव का माध्यम बन सकती है।
श्री कोविंद ने नई दिल्ली में कहा कि ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है, इसलिए घर, कार्यालय और उद्योग धंधों में बिजली की बचत के प्रति जागरूकता पैदा की जानी चाहिये। दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण खरीदते समय भी इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे ऊर्जा दक्ष हों। इन उपायों से बचायी गयी बिजली से कमजोर तबके को आर्थिक सुरक्षा का कवच मिलेगा और उसके जीवन में व्यापक बदलाव आएगा।
उन्होंने बिजली की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए उद्योगपतियों का ‘ऊर्जा बैंक’ स्थापित करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने सौभाग्य योजना के तहत हर व्यक्ति को बिजली देने के सरकार के संकल्प की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे उन गरीबों, आदिवासियों और पिछड़े तबके की अंधेरी झोपड़ियों में उजाला पहुंचेगा जो आजादी के 70 वर्ष बाद भी इस मूलभूत जरूरत से वंचित हैं। केंद्रीय बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों के सामने विकास के लिए बिजली का उत्पादन बढ़ाना और जलवायु प्रदूषण के खतरों को कम करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा तथा ऊर्जा का संरक्षण करने की दोहरी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने में ऊर्जा दक्षता कारगर साबित होगी।