वित्त मंत्री पी चिदम्बरम जब एक ऐसे बैंक का खाका बनाने की प्रक्रिया से गुजर रहे थे कि एक ऐसा बैंक हो जो पूरी तरह महलाओं के हाथों में हो तो उन्हें इस सवाल से भी दो चार होना पड़ा के इस बैंक का चेयमैन व प्रबंधनिदेशक( सीएमडी) किसे बनाया जाये. और उनकी यह तलाश पूरी हुई ऊषा अनंत सुब्रमणियन के रूप में.
लेकिन जब आप ऊषा के अकादमिक बैकग्राऊंड को पहली नजर में देखेंगे तो आप थोड़ी देर के लिए चकित हो जायेंगे. ऊषा ने भारतीय संस्कृति का अध्ययन किया है. आप सोच रहे होंगे कि संस्कृति और बैंकिग का आपस में क्या रिश्ता है, तो बात यह भी है कि उषा ने स्टैटिक्स में भी विशेषज्ञता हासिल की है.
इस प्रकार ऊषा को बैंकिग सेक्टर में 31 सालों का लम्बा अनुभव है. इस प्रकार ऊषा अनंत सुब्रमणियन ने एक हजार करोड़ रुपये कैपिटल वाले ऑल वूमेन बैंक जो भारतीय महिला बैंक के नाम से जाना जाता है का, पहली चेयरमैन व प्रबंध निदेशक नियुक्त की गयी हैं. वित्तमंत्री ने इस वर्ष के बजट भाषण में भारतीय महिला बैंक की स्थापना की घोषणा की थी. मकसद था महिला सशक्तीकरण.
ऊषा ने बैंक ऑफ बड़ोदा से अपने करियर की शुरूआत 1982 में की थी. बैंक ऑफ बड़ोदा में ऊषा ने काफी सराहनीय काम किया. वह वहां बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सचिव की हैसियत से भी काम कर चुकी हैं. इसके अलावा ऊषा ने सिकागो में भी प्रशिक्षण लिया है.
भारतीय महिला बैंक यानी बीएमबी को ज्वायन करने से पहले तक ऊषा पंजाब नेशनल बैंक में कार्यकारी निदेशक के रूप में काम कर रही थीं. अब जब ऊषा बीएमबी के अध्यक्ष का पद संभाल चुकी हैं तो उम्मीद की जा रही है कि इसी महीने यह बैंक काम करना शुरू कर देगा. नयी दिल्ली में इसका मुख्यालय होगा और बताया जाता है कि सबसे पहले इसके छह ब्रांच खोले जायेंगे.