पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन मामले में कल पटना हाई कोर्ट में भारी हंगामा हो गया। पूर्ण पीठ में सुनवाई के दौरान कुलदीप नारायण समर्थक पटना नगर निगम के कर्मचारी व पार्षद तो काफी संख्या में जुटे ही थे, बहस में वकीलों ने माननीय न्यायाधीशों और विशेषकर कार्यवाहक इकबाल मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी पर ऐसे कटाक्ष किये कि वे सुनवाई के बीच से ही चले गये। उन्होंने कहा भी कि अब इस पूर्ण पीठ में सुनवाई नहीं हो सकती। पूरे घटनाक्रम ने पटना हाई कोर्ट की न्याय-व्यवस्था के समक्ष विषम स्थिति पैदा कर दी है। सुनवाई को किसी नई पूर्ण पीठ का गठन ही करना होगा।
पटना रियल्टी प्लस ने अपने वाल पर लिखा है कि मामले की सुनवाई को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी, न्यायमूर्ति वी एन सिन्हा व न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह की पूर्ण पीठ भोजनावकाश के बाद बैठी। सुनवाई शुरु होने के पहले ही कोर्ट में पटना नगर निगम के कर्मी व आयुक्त समर्थक पार्षद काफी संख्या में जम चुके थे। अधिवक्ता ललित किशोर को हटाकर पटना नगर निगम की ओर से पैरवी के लिए नियुक्त किए गए सीनियर एडवोकेट वाई वी गिरि ने कुलदीप नारायण के पक्ष में दलीलें देनी शुरु की। उन्होंने पूर्ण पीठ के गठन पर भी सवाल पैदा किए। उनके साथ पटना नगर निगम के अन्य अधिवक्ता प्रसून सिन्हा व हरगोविंद सिंह हिमकर के अलावा जनहित याचिका के वकील श्रीप्रकाश श्रीवास्तव भी नारायण की पैरवी कर रहे थे। लेकिन बहस से अधिक कोर्ट में इन वकीलों ने जजों को ही कठघरे में खड़े करने की कोशिश की।
पूर्ण पीठ के गठन व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी तथा न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह की मौजूदगी पर तीखे सवाल किये गये। न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह ने जब कहा कि स्थानांतरण-निलंबन मामले की सुनवाई लोकहित याचिका के दौरान नहीं हो सकती, तब कुलदीप नारायण समर्थकों के तेवर और तीखे हो गये। वकीलों को सुनवाई छोड़ चले जाने की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की दी गई चेतावनी भी काम नहीं आई। वकीलों की ओर से फाइल पटकने और वापस चले जाने तक को कहा गया। जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह को निशाने पर लेते कहा गया कि आपसे न्याय की उम्मीद है ही नहीं। पहले ही आप किसी मामले की सुनवाई के दौरान आयुक्त कुलदीप नारायण के खिलाफ तीखी टिप्पणी कर चुके हैं। साथ में कहा है कि वे नारायण को देखना नहीं चाहते। इसके बाद माहौल को और बिगड़ता देख कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनवाई छोड़ चले गये। बाद में सुनवाई बिना किसी निष्कर्ष के खत्म हो गई।