असदुद्दीन ओवैसी ने नौकरशाही डॉट कॉम के सम्पादक इर्शादुल हक के सामने उस राज से पर्दा उठा दिया कि उन्होंने ‘गर्दन पे छुरी रखने पर भी भारत माता की जय’ नहीं बोलने वाला बयान क्यों दिया.
मोहन भागवत के भारत माता की जय वाले बयान के 15 दिनों बाद तक देश में कोई प्रतिक्रिया नहीं थी. आपको क्या पड़ी थी कि एक मृत मुद्दे को उठा दिया जिससे भागवत दिल ही दिल में आपके प्रति खुश हो रहे होंगे.
ओवैसी- सच बोलने से मैं डरता नहीं हूं. हर बार बोलूंगा. बोलने की आजादी है. ऐसी कौई बात नहीं कहता जो असंवैधानिक हो. भगवन ने भारत माता की जय बोलने वाली टिप्पणी की. मैंने कहा कि मैं नहीं बोलूंगा. बस इतनी सी बात है.
तो गर्दन पर कौन छुरी चला रहा था आपकी? भागवत ने ये तो नहीं कहा था कि आप भारत माता की जय नहीं बोलेंगे तो आपकी गर्दन पर छुरी रख देंगे.
ओवैसी-जनाब मैं तकरीर( भाषण) कर रहा था. जब आप एक घंटा दो मिनट या उससे भी ज्याद लम्बी तकरीर करते हैं तो आपको पचास हजार के मजमें के हिसाब से बोलना होता है. इसलिए मैंने अपनी बात मजबूती से रखने के लिए यह बात कही. मैं कोई बौद्धिक समूह में पेपर नहीं पढ़ रहा था कि मैं उस हिसाब से बोलता. मजमे( भीड़) में मजमे के हिसाब से बोलना होता है.
तकरीर में आप नफरत की बात करेंगे फिर. आप मुहब्बत की बात नहीं कर सकते क्या?
ओवैसी–सर आप कैसी मुहब्बत की बात कर रहे हैं. जिस देश का मुसलमान गुरबत, अफलास का मारा हो. जिसे रोटी नहीं, रोजगार नहीं घर नहीं. आप कितनी मुहब्बत दिखायेंगे. पिछले साठ साल से तो हम मुहब्बत की ही बात कर रहे हैं.
आपको यह एहसास नहीं होता कि आपकी ऐसी बातों से खुद मुसलमानों का ही नुकसान होता है. आपके कारण देश के करोड़ों मुसलमान विक्टिम बन जाते हैं. सोशल मीडिया पर पूरे मुस्लिम समाज को इसका दंश झेलना पड़ता है.
ओवैसी- सुनिये..सुनिये. हम तो पहले से ही विक्टिम हैं. कब तक इस डर से जुबान बंद रखेंगे कि वे हमें बुरा-भला कहेंगे. अब ऐसे काम नहीं चलेगा. हम खुल कर बोलेंगे. बोलते रहेंगे. बस यकीन मानिये कि हम संविधान का उल्लंघन नहीं करेंगे पर जुबान बंद भी नहीं करेंगे. अब वक्त आ चुका है कि समुंदर की गहराई में उतर कर गोता लगाया जाये. उनकी ( आरएसएस-भाजपा) साजिश को सामने रखना ही होगा.
आप बोलिए. खूब बोलिए. लेकिन कोई रणनीति तो हो सकती है कि आप अपनी बात कहें और घिरे नहीं. लेकिन आप मजमे की मानसिकता को ध्यान में रख कर बोलते हैं, यह क्यों नहीं समझते कि मजमे के बाहर इसका क्या अर्थ निकाला जायेगा?
ओवैसी– वो भारत माता की जय बुलवाना चाहते हैं. भारत माता के अनेक मंदिर हैं देश में. ( भारत माता से उनका अर्थ देवी दुर्गा से है. यह पंथनिरपेक्ष समाजवादी देश है. इस देश का कोई धर्म नहीं. संविधान के प्रस्तावा में इसका साफ उल्लेख है. फिर मैं क्यों बोलूं भारत माता की जय. भारत माता की व्याख्या सावरकर ने अपनी किताब में पहले ही कर दी है. भगवत तो बस उसे दोहरा रहे हैं.
जनाब आप इसी पर क्यों अटके हैं. आखिर आपके विधायक वारिस पठान को इसका खामयाजा भुगता पड़ा. महाराष्ट्र विधान सभा से इसी बात के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया.
ओवैसी–मैं तो यही चाहता हूं कि वो एक्सपोज हों. उन्होंने खुद को एक्पोज कर लिया. उनकी मानसिकता सामने आ गयी कि वह क्यों भारत माता की जय बोलवाना चाहते हैं.
खुद को एक्सपोज कर लिया कि आप साइडलाइंड हो गये. कोई विपोक्षी दल भी आपके फेवर में नहीं आया.
ओवैसी-सारी पार्टियां एक जैसी हैं. कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व वाला चेहरा भी सामने आ गया. वह तो और ही खतरनाक विचारों वाली पार्टी है.
आपको यह कब एहसास हुआ कि वह खतरनाक है. तब क्यों नहीं आपको एहसास हुआ जब उनके साथ आप आंध्र में सरकार में थे.
ओवैसी–देर से ही एहसास हुआ. पर हुआ तो.
ओवैसी साहब. आप आरएस और भाजपा को खुराक दे रहे हैं. हिंदी प्रदेशों में तीन साल पहले आपको इक्के-दुक्के लोग जानते थे. क्या आप इतने भर से खुश हैं कि विवादित बयान देने से आप को सारा देश जान गया ?
ओवैसी–मैं हक बात बोल रहा हूं. बोलता रहूंगा.
आप जिस तरह की भूमिका में हैं, ऐसी ही भूमिका में कभी शहाबुद्दीन थे. उससे पहले इंदिरा के जमाने में इमाम बुखारी थे. क्या मुसलमानों की सियासत ऐसे ही चलेगी?
ओवैसी–शहाबुद्दीन साहब ने मुसलमानों की रोजी रोटी की बात नहीं की. बुखारी साहब ने क्या किया यह सब को पता है. जामा मस्जिद के सामने मुसलमान आज भी भीख मांगते हैं. लेकिन आप हैदराबाद चलिए मैं दिखाता हूं कि वहां मैंने मुसलमानों के लिए क्या किया.
आपने बिहार चुनाव में कितना चीखा. क्या फायदा हुआ. मुसलमानों ने ही आपको रिजेक्ट कर दिया. जीरो पर आउट. इससे कुछ सबक क्यों नहीं लेते?
ओवैसी-मैं कभी रिजल्ट की परवाह नहीं करता. मैं मेहनत पर यकीन करता हूं. बिहार में फिर लडूंगा.
उत्तर प्रदेश में क्या हस्र होने वाला है आपका?
ओवैसी–मुझे नहीं मालूम कि क्या होगा. पर मैं मेहनत कर रहा हूं. वहां भी लडूंगा.
अकेले लडेंगे या किसी के साथ मिल कर
ओवैसी–देखिए कैसे हालात बनते हैं
आपकी जो छवि बनी है उससे कौन (सेक्युलर) पार्टी आपको अपने साथ लेने का रिस्क लेगी?
ओवैसी– कोई मुझे अपने साथ ले या न ले. हम लड़ेंगे. लेकिन इस डर से हम चुनाव लड़ना क्यों छोड़ देंगे कि इसका फायदा किसको मिलेगा और नुकसान किसको होगा. आप याद कीजिए महाराष्ट्र में हम लोकसभा चुनाव नहीं लड़े. फिर भी भाजपा शिवसेना ने अधिकतर सीटें जीत लीं. लेकिन जब हम वहां विधान सभा चुनाव लड़े तो हमें क्यों बदनाम किया गया कि हमारी वजह से वे जीते. सालों साल से मुसलमान वोट कर रहे हैं और सत्ता पर कब्जा कोई और कर लेता है. यह कब तक चलेगा.
आप बिहार में चुनाव लड़े तो लालू-नीतीश का विकल्प क्यों नहीं बनते आप. या फिर उनके साथ क्यों नहीं हो लेते.
ओवैसी– लालू तो खुद एक पुरोहित हैं. वह मुसलमानों को चाकरी करवाने वाला समझते हैं. आप तमाम रिपोर्ट पढ़ लीजिए. मुसलमानों की हालत बिहार में और सीमांचल में कितनी बुरी है. 25 वर्षों से तो लालू-नीतीश ही हैं न बिहार में. मुसलमान कब तक उन्हें वोट दे कर ताली बजाने वाला बना रहेगा.ये हालात बदलना होगा.
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलेमीन के अध्यक्ष का यह साक्षात्कार पटना के एक होटल में 26 मार्च 2016 को लिया गया. इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार निखिल आनंद भी मौजूद थे.